- मिलन सिन्हा
नजरिया
मैं जो था
कमोबेश वही हूँ
समय के साथ
अगर
कहीं कुछ बदला है
तो वह है
मेरे प्रति
लोगों का नजरिया !
बाहरी आदमी
मैं
परेशान हो उठता हूँ
जब खुद को
बाहरी आदमी बनकर
देखने लगता हूँ !
चिंता
मेरे
इस दुनिया में रहने
या न रहने से
उनका
कुछ नहीं बिगड़ता है .
उन्हें तो
केवल चिंता है
चारों तरफ हवा में तैरते
मेरे नाम की !
will meet again with Open Mind. All the Best.
चिंता
मेरे
इस दुनिया में रहने
या न रहने से
उनका
कुछ नहीं बिगड़ता है .
उन्हें तो
केवल चिंता है
चारों तरफ हवा में तैरते
मेरे नाम की !
will meet again with Open Mind. All the Best.
Nice poem.Aap ka najaria achha hai.SG
ReplyDeleteDekheye, aapka bhi mere prati najaria badla na? Dhanyabaad.
ReplyDeleteLoved the last poem. Describes how people now a days are worried too much about others getting the fame.
ReplyDeleteThanks & All The Best.
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