Friday, May 22, 2020

वेलनेस पॉइंट: लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा में नशामुक्ति का मौका

                                 - मिलन  सिन्हा,  वेलनेस कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
सम्प्रति भारत सहित पूरा विश्व गंभीर दौर से गुजर रहा है. आर्थिक और  सामाजिक सहित अनेक क्षेत्रों में कई परिवर्तनों से हम सभी रूबरू हैं. आनेवाले दिनों में होनेवाले अनेक छोटे-बड़े बदलावों के स्पष्ट संकेत भी मिलने लगे हैं. अपने देश में लॉक डाउन के मौजूदा समय में कई तरह की  समस्या और संकट के बीच हमें अनेक नए व सुखद अनुभवों से गुजरने का मौका भी मिल रहा है, जो कदाचित मुमकिन नहीं था. पर्यावरण की बात करें तो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में अकल्पनीय कमी आई है. इससे पर्यावरण की सेहत अदभुत रूप से अच्छी हुई है. इस समय  तीन सौ किलोमीटर दूर से भी हिमालय पर्वत श्रृंखला का साफ़ दिखाई देना या गंगा, यमुना और अन्य नदियों में जल की गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार होना या पक्षियों-तितलियों की बहुत बड़ी संख्या में उन्मुक्त विचरण करना इसके गवाह हैं. इन सबका समेकित सकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गहरे रूप से पड़ना स्वाभाविक है. बेशक मज़बूरीवश लॉक डाउन के इस दौर में  आम लोगों, खासकर नियमित नशा करनेवाले लोगों के जीवनशैली में आए अच्छे बदलाव पर  गौर करना भी जरुरी है.
    
बताते चलें कि देश में नशा करनेवालों की संख्या में पिछले कई वर्षों से निरंतर वृद्धि होती रही है. नशीली चीजों की किस्में और प्रभावक्षेत्र दोनों में विस्तार हो  रहा है. अच्छी संख्या में महानगर से लेकर ग्रामीण  इलाके में रहनेवाले गरीब-अमीर लोग नशे की चपेट में आ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि आम तौर पर सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, भांग, गांजा, ताड़ी, शराब, चरस, अफीम, कोकीन और  हेरोइन जैसे नशीली चीजों के लत में पड़े लाखों लोगों में से नियमित रूप से बड़ी संख्या में लोग फेफड़ा, ह्रदय, लीवर, किडनी, ब्रेन, त्वचा के रोगों के शिकार होते हैं. कैंसर पीड़ित लोगों में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. हां, घर में पौष्टिक आहार उपलब्ध होने पर भी बाहर का जंक, बासी और अस्वच्छ खाना खाने की आदत भी एक नशे के समान ही है. इस लत के कारण अपने बॉडी सिस्टम को प्रदूषित करते रहने और फिर बीमार पड़नेवाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
  
दरअसल, नशा करनेवालों के परिवारवाले  अपने स्वजनों से परेशान रहते हैं और उनको इससे दूर रहने को कहते भी हैं, अपने तरीके से प्रयास भी करते हैं. कई परिवारों में लड़ाई-झगड़े, अशांति और तनाव का यह एक बड़ा कारण भी रहा है. हां, यह भी सही है कि नशा के शिकार कई लोग खुद इसे छोड़ना चाहते हैं. तभी तो देशभर के नशामुक्ति केन्द्रों और डॉक्टरों के पास ऐसे लोगों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नशा छोड़नेवाले लोगों की संख्या नशे के कारण विभिन्न रोगों से मरनेवालों की संख्या से अभी भी कम है. यह दुखद स्थिति है.

लॉक डाउन के कारण बाध्यतावश ही सही, नशा करनेवाले अधिकांश लोगों को इसकी आपूर्ति लगभग बंद हो गई. जिन्हें दिनभर में कम-से-कम चार-पांच सिगरेट या हर घंटे-दो घंटे में गुटखा का छोटा पैकेट, भांग का एक-दो गिलास या गांजा का दस-बीस कश या शराब का दो-चार पैग  का सेवन किए बगैर दिन काटना और रात में सोना मुश्किल होता था, अब चाहे-अनचाहे उनमें से ज्यादातर लोगों को इसके बिना जीने की आदत होने लगी है. गौर करनेवाली बात यह है कि  बिना किसी नशा मुक्ति केंद्र या डॉक्टर के पास गए या घरवालों के अतिशय दबाव के यह सब संभव हो गया. यह सकारात्मक एवं सुखद बदलाव है. यकीनन,  इसका बहुआयामी सकारात्मक असर उनके आर्थिक स्थिति के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

अब एक बहुत अहम बात. जो लोग नशे की लत को इस बीच छोड़ चुके हैं, वे यकीनन संकल्प शक्ति के तो धनी हैं ही. तथापि इसे और मजबूत करने की जरुरत है, जिससे किसी भी कारण से वे पुनः इसके चपेट में न आ जाएं. बस मन को बराबर यह समझाते रहना है कि जो गलत था उसे जब इस लॉक डाउन के प्रभाव से ही सही एक बार छोड़ दिया तो बस छोड़ दिया. अब उससे कोई वास्ता नहीं रखना है, चाहे एकाध बार भी मन उसकी तरफ भागने की चेष्टा करे, चाहे दोस्त-मित्र इसके लिए कितना भी प्रलोभित या प्रेरित करें या चाहे लॉक डाउन में कुछ छूट के बाद नशे की ये वस्तुएं पूर्ववत आसानी से उपलब्ध हो. मन में हो विश्वास तो आप जरुर होंगे कामयाब. निसंदेह, ऐसे  समय घर के लोगों और अच्छे दोस्तों की भूमिका बहुत अहम साबित होती है. 
  
आइए जानते हैं स्वास्थ्य संबंधी इन पांच बड़े फायदों के बारे में.

1.आम तौर पर नशा छोड़ने पर खाने में सही स्वाद मिलता है और भोजन में शामिल पौष्टिक तत्वों के सही पाचन और अवशोषण का अपेक्षित लाभ भी. इससे शरीर के सारे सेल्स सक्रिय होते है और रक्त संचार में सुधार होता है. फलतः इम्यून सिस्टम और मेटाबोलिज्म में सुधार होने से दूसरे किसी बीमारी की चपेट में आने से बचे रहना भी आसान हो जाता है. व्यक्तिगत और घरेलू स्ट्रेस में आशातीत कमी आती है. 

2. सिगरेट या बीड़ी या गांजा के सेवन से मुक्त होनेवाले लोगों को टीबी, हाई बीपी, न्यूरो प्रॉब्लम,   और ह्रदय रोग के अलावे बड़े स्तर पर कैंसर से बचे रहने में मदद मिलती है. अगर इन रोगों में से किसी एक या ज्यादा रोग से पीड़ित हो चुके हैं तो उचित चिकित्सा द्वारा जल्दी ठीक होने की संभावना भी बढ़ जाती है. इससे श्वसन तंत्र में बहुत सुधार होता है. 

3. गुटखा, खैनी, जर्दा आदि के सेवन से छुटकारा पाने पर खासकर मुंह और गले के कैंसर से बचे रहना आसान हो जाता है. पाचन तंत्र ठीक से काम करने लगता है. रक्त प्रवाह में सुधार होता है इससे कई लाभ होते हैं.

4. शराब का सेवन करनेवाले लोग इससे मुक्त होने पर लीवर, किडनी और ह्रदय की बीमारी के अलावे मधुमेह में गुणात्मक सुधार के भागी बनते हैं. उनकी संकल्प शक्ति में बहुत सुधार होता है, जिसका सीधा लाभ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. अन्य कई छोटे-बड़े हेल्थ प्रोब्लम्स से भी बचे रहना संभव होता है. 
   
5. चरस, अफीम, कोकीन और हेरोइन के लत से मुक्त होने के बहुत लाभ हैं. आगे हर तरह के गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने की प्रबल संभावना से बचे रहने और अब तक हो चुके नुकसान को ठीक करने का मौका मिल जाता है. इससे शरीर के श्वसन तंत्र से लेकर पाचन तंत्र तक सब को राहत मिलती है. इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से गंभीर अवसाद और पागलपन की अवस्था में पहुंचे लोगों के लिए भी आगे एक हेल्दी लाइफ जीने के रास्ते खुल जाते हैं, बेशक समय थोड़ा ज्यादा लगता है. 
  
अंत में एक जरुरी बात और.

नशे की आदत से बाहर निकलने के दौर में ही अपनी जीवनशैली में सकारात्मक सक्रियताओं को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करना जरुरी होता है, जिससे बुरी आदत से एग्जिट सुगम होता  और यह महसूस भी होता है. कुछ दिनों तक नशे का हैंगओवर रहेगा जो दृढ़ निश्चय,  हेल्दी रूटीन और परिवारजनों के इमोशनल सपोर्ट से  शीघ्र समाप्त हो जाएगा. हां, इसके बावजूद भी अगर कभी मन घबराए तो घरवालों को बताने में संकोच न करे और साथ ही तुरत यह सोचें कि आखिर देश के 95 प्रतिशत से ज्यादा लोग अगर बिना नशे के हेल्दी और हैप्पी लाइफ लीड कर सकते हैं तो फिर मैं क्यों नहीं. जरुरत हो तो करके देखिएगा, अच्छा रिजल्ट मिलेगा. बहरहाल, पहले अपने शरीर की आंतरिक सफाई पर विशेष ध्यान दें, जिससे कि शरीर जल्द-से-जल्द डीटोक्सीफाई अर्थात विषैले तत्वों से मुक्त हो सके. यह महत्वपूर्ण काम सुबह की बेहतर शुरुआत से बहुत आसान हो जाएगा. ऐसे भी रात में जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. अच्छी नींद से स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी समस्याओं का समाधान स्वतः हो जाता  है. सुबह जल्दी उठने से हमें अपने शरीर को अच्छी तरह जलयुक्त और ऑक्सीजन युक्त करने का अच्छा वक्त मिल जाता है. गुनगुना नींबू पानी या  तुलसी-नीम-गिलोय के जूस आदि के सेवन से बहुत लाभ महसूस होगा.  नाश्ते से पहले सुबह खुले परिवेश में निष्ठापूर्वक व्यायाम, योग और ध्यान में आधे घंटे बिताना तन-मन दोनों को  रिचार्ज और रिफ्रेश कर देता है. इसके बाद आराम से पूरा स्वाद लेकर पौष्टिक ब्रेकफास्ट करें. इस समय नियमित रूप से घर का ताजा और शुद्ध खाना खाने से अनायास ही बहुत लाभ मिल जाता है. हां, कोशिश करें कि खाली समय में अपने किसी हॉबी जैसे पेंटिंग, कुकिंग, रीडिंग, ब्लॉग या डायरी राइटिंग आदि में व्यस्त रह सकें. बहुत अच्छा लगेगा. कहने की जरुरत नहीं कि लॉक डाउन के इस पॉजिटिव रिजल्ट को आप ताउम्र याद रखेंगे और इससे लाभान्वित भी होते रहेंगे.  (hellomilansinha@gmail.com)


             ...फिर मिलेंगे, बातें करेंगे - खुले मन से ... ...  
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 6 मई, 2020 को प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

Friday, May 8, 2020

वेलनेस पॉइंट: शरीर को अंदर से सैनीटाइज करते हैं ये प्राणायाम व आसन

                                  - मिलन  सिन्हा, वेलनेस कंसलटेंट एवं योग विशेषज्ञ  
नोवेल कोरोना वायरस यानी कोविड-19 वैश्विक महामारी से भारत सहित दुनियाभर के 200 से ज्यादा देश दुष्प्रभावित हैं. लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं. यह संख्या निरंतर बढ़ रही है और इससे पीड़ित लोगों की मरने की संख्या भी. विश्व के दूसरे सबसे आबादीवाले देश होने और कोविड-19 के जन्मदाता देश चीन का पड़ोसी होने के बावजूद भारत की स्थिति अबतक अपेक्षाकृत बेहतर है. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ देशभर की सामाजिक और स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाए रखने और जो संक्रमित हो चुके हैं उनके उपयुक्त इलाज के लिए मिलकर काम कर रही हैं. केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय भी समय-समय पर लोगों को इसके संबंध में जरुरी जानकारी मुहैया करवा रही है. तथापि एकाधिक कारणों से बड़ी संख्या में आम लोग सशंकित, चिंतित और तनावग्रस्त हैं. इसका बुरा असर शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता और मेटाबोलिज्म पर पड़ना स्वाभाविक है. इसके दुष्परिणाम बहुआयामी हो सकते हैं. समाज और सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है. 

ज्ञातव्य है कि नोवेल कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के संक्रमण से हमारी श्वसन प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है. वायरस का  पहला हमला हमारे गले के आसपास की कोशिकाओं पर होता है  जो जल्दी ही हमारे सांस की नली और फेफड़ों को संक्रमित कर स्थिति को जानलेवा तक बना देती है. नियमित योगाभ्यास, खासकर निम्नलिखित पांच प्राणायाम के अभ्यास से खुद को अन्दर से सेनिटाइज करना और बराबर वायरस से लड़ने में खुद को सक्षम बनाए रखना आसान  हो जाता है, क्यों कि इससे श्वसन नली एवं फेफड़े के प्रोब्लम्स से बचाव के अलावे उच्च रक्तचाप, न्यूरो प्रॉब्लम, ह्रदय रोग, मधुमेह, मानसिक तनाव आदि में भी काफी लाभ मिलता है. 

विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के अनुसार प्राणायाम प्रक्रियाओं की वह श्रृंखला है जिसका लक्ष्य शरीर की प्राणशक्ति को उत्प्रेरणा देना, बढ़ाना तथा उसे विशेष अभिप्राय से विशेष क्षेत्रों में संचारित करना है. प्राणायाम का अंतिम उद्देश्य सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित 'प्राण' को नियंत्रित करना भी है.

कोशिश करें कि प्राणायाम का अभ्यास अपेक्षाकृत खुले स्थान पर किए जाएं अर्थात ऑक्सीजन और प्रकाश युक्त माहौल में. आइए प्राणायाम के उन पांच अभ्यासों के बारे में  जानते हैं. 

1. योग क्रिया: अनुलोम-विलोम प्राणायाम 
विधि: सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में से ध्यान के किसी आसन में सीधा बैठ जाएं. शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रख लें. आँख बंद कर लें. अब दाहिने हाथ के प्रथम और द्वितीय अँगुलियों को ललाट के मध्य बिंदु पर रखें और तीसरी अंगुली (अनामिका) को नाक के बायीं छिद्र के पास और अंगूठे को दाहिने  छिद्र के पास रखें. अब अंगूठे से दाहिने छिद्र को बंद कर बाएं छिद्र से दीर्घ श्वास लें और फिर अनामिका से बाएं छिद्र को बंद करते हुए दाहिने छिद्र से श्वास को छोड़ें. इसी भांति अब दाहिने  छिद्र से श्वास लेकर बाएं से छोड़ें. यह एक आवृत्ति है. 
अवधि:  कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें. जल्दबाजी या बलपूर्वक न करें.  
लाभ: सर्दी, जुकाम, सायनस, अस्थमा, खांसी, टोन्सिल आदि समस्त कफ रोग दूर होते हैं. सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, न्यूरो प्रॉब्लम, ह्रदय रोग आदि के लिए भी लाभप्रद. 
  
2. योग क्रिया: कपालभाति प्राणायाम  
विधि: सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में सीधा बैठ जाएं. पेट सहित पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रख लें. आँख बंद कर लें और श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब रेचक यानी श्वास छोड़ने की प्रमुखता रखते हुए श्वसन अभ्यास करें. चूंकि इस प्राणायाम में  रेचक क्रिया में थोड़ा जोर लगाया जाता है, अतः हमारा पेट स्वतः थोड़ा भीतर की ओर जाएगा. आप पूरा ध्यान केवल सांस को बाहर निकालने पर केन्द्रित करें. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: जो लोग नेत्र रोग से पीडि़त हैं या जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, वे इस प्राणायाम को किसी योग प्रशिक्षक से सलाह लेकर ही करें.
लाभ: इससे फेफड़ा स्वच्छ होता है. दमा, एलर्जी, सायनस, कब्ज, जुकाम आदि रोग के साथ-साथ  ह्रदय एवं मस्तिष्क के रोगों में भी लाभ मिलता है. मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए भी लाभप्रद.

3. योग क्रिया: भस्त्रिका प्राणायाम
विधि: ध्यान के किसी आसन यानी सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में बैठ जाएं. अपने सिर और मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और दोनों हाथ घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रखें. आँख बंद कर लें और श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब थोड़ी तेज गति से बीस बार पूरक और रेचक यानी श्वास लें और छोड़ें. यह एक आवृति है. तीन आवृति से शुरू करें और अगले कुछ दिनों में सुविधानुसार बीस आवृति तक ले जाएं. इस क्रिया के अभ्यास से फेफड़ों का उपयोग लोहार की धौंकनी के तरह होता है. इससे फेफड़े से ऑक्सीजन से भर जाता है.  
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: अगर हाई ब्लड प्रेशर या चक्कर आने संबंधी कोई बीमारी हो तो अपने डॉक्टर के एडवाइस से ही इस क्रिया को करें और वह भी किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में. 
लाभ: फेफड़े को स्वच्छ, स्वस्थ और सबल रखने में बहुत लाभकारी. इस क्रिया से बहुत ताजगी और स्फूर्ति का अनुभव होता है. गले के रोग, सर्दी-जुकाम, एलर्जी, दमा आदि में भी लाभप्रद. 

4. योग क्रिया: उज्जायी प्राणायाम 
विधि: आराम के किसी भी आसन में सीधा बैठ जाएं. अपने सिर और मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और दोनों हाथ घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रखें. शरीर को ढीला छोड़ दें. अब अपने जीभ को मुंह में पीछे की ओर इस भांति मोड़ें कि उसके अगले भाग का स्पर्श ऊपरी तालू से हो. इसके बाद  गले में स्थित स्वरयंत्र को संकुचित करते हुए मुंह से श्वसन करें और और अनुभव करें कि श्वास क्रिया नाक से नहीं, बल्कि गले से संपन्न हो रहा है. ध्यान रहे कि श्वास क्रिया गहरी, पर धीमी हो. इसे 10-20 बार करें.  
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना 
सावधानी: जल्दबाजी न करें. मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें 
लाभ: गले को ठीक और नीरोग रखने के लिए काफी फायदेमंद. सर्दी-खांसी, ह्रदय रोग, अस्थमा, कंठ विकार, टोन्सिल, अनिद्रा, मानसिक तनाव से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद है.

5. योग क्रिया: भ्रामरी प्राणायाम  
विधि: ध्यान के किसी भी आसन जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन आदि में बैठ जाएं. मेरुदंड सीधा रखें. शरीर को ढीला छोड़ दें. आंख बंद कर लें. श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब प्रथम अँगुलियों से दोनों कान बंद कर लें. दीर्घ श्वास ले और भौंरे की तरह ध्वनि करते हुए अविरल रेचक करें तथा मस्तिष्क में ध्वनि तरंगों का अनुभव करें. यह एक आवृत्ति है . इसे 5 आवृत्तियों से शुरू कर यथासाध्य रोज बढ़ाते रहें. रोजाना 10 मिनट तक करें तो बेहतर परिणाम मिलेंगे.
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना 
सावधानी: जल्दबाजी न करें. श्वास क्रिया तथा ध्वनि लयबद्ध हो, इसका ध्यान रखें.  
लाभ: गले का रोग, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग आदि में लाभप्रद. उत्तेजना और  मन की चंचलता दूर होती है. स्मरण शक्ति और सकारात्मक सोच बढ़ाने में सहायक.

तन-मन के रिलैक्सेशन के लिए शिथिलीकरण योग क्रिया :

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती कहते हैं कि "आधुनिक वैज्ञानिक युग में लोग अनेक तनावों एवं दुश्चिंताओं के अधीन हैं. उन्हें नींद में भी आराम नहीं मिलता. ऐसे लोगों को जिस प्रकार के विश्राम की आवश्यकता है, उसे वे शिथिलीकरण के आसनों द्वारा निश्चित ही प्राप्त कर सकते हैं." आइए ऐसे दो आसान आसनों के विषय में जानते हैं.

1. योग क्रिया: शवासन 
विधि: दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखते हुए पीठ के बल सीधा लेट जाएं. हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखें. पैरों को थोड़ा अलग कर लें. आखें बंद कर शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें. शरीर को शव की तरह पड़ा रहने दें. श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब श्वास-प्रश्वास पर मन को केन्द्रित करते हुए उनकी गिनती शुरू कर दें. यानी श्वास को आते-जाते सजगता से अनुभव करें और गिनें भी. मन भटके तो उसे पुनः इस काम में लगाएं. कुछ मिनटों तक ऐसा करने पर तन-मन शिथिल हो जाएगा और आप बहुत रिलैक्स्ड फील करेंगे. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना. ऐसे आपको जब जरुरत महसूस हो इस क्रिया को करें.   
सावधानी: लेटने का स्थान समतल हो और आप श्वास-प्रश्वास के प्रति सचेत रहें.
लाभ: समस्त शारीरिक तथा मानसिक प्रणालियों को शिथिल करके विश्राम देता है. थकान, चिंता, तनाव और अवसाद में बहुत लाभकारी. सोने से पूर्व और योगाभ्यास के पश्चात इसका अभ्यास आदर्श माना जाता है.

2. योग क्रिया: मकरासन  
विधि: पेट के बल सीधा लेट जाएं. अब कुहनियों के सहारे सिर और कंधे को उठाएं तथा हथेलियों पर ठुड्डी को टिका दें. आखें बंद कर शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें. अब श्वास-प्रश्वास पर मन को केन्द्रित करते हुए उनकी गिनती शुरू कर दें. कुछ समय तक लगातार इस अवस्था में रहें. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना. ऐसे आपको जब जरुरत महसूस हो इसे आप करें.   
सावधानी: लेटने का स्थान समतल हो और आप श्वास-प्रश्वास के प्रति सचेत रहें.
लाभ: रिलैक्सेशन के अलावे इस आसन से दमा एवं फेफड़े के अन्य रोगों से ग्रसित लोगों को बहुत लाभ मिलता है. मेरुदंड की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी काफी लाभप्रद. (hellomilansinha@gmail.com)


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