Friday, July 24, 2020

मोटिवेशन: पुस्तक से बनाए रखें दोस्ती

                                             - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट ... ...

बचपन से ही पुस्तकों से हमारा रिश्ता जुड़ जाता है. वर्णमाला की रंग-बिरंगी किताब से प्रारंभ हुई यह यात्रा धीरे-धीरे विस्तृत होती जाती है. हर काल में ज्ञान के प्यासे विद्यार्थियों के लिए यह यात्रा बहुत रोचक, सुखद और लाभकारी रही है. सब जानते हैं कि ज्ञान का सागर जितना विस्तृत है, उतना ही गहरा भी और पुस्तकें ज्ञान और कालान्तर में सफलता और सम्मान हासिल करने में  अहम भूमिका निभाती है. बहरहाल इन्टरनेट, फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि के मौजूदा दौर में कोर्स की किताबों  के अलावे साहित्य, इतिहास, दर्शन, अध्यात्म आदि की किताबों को पढ़ने का चलन कुछ कम हो रहा है, अलबत्ता बहुत सारे विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन  कुछ-कुछ पढ़ते रहते हैं. लेकिन क्या इतना काफी है और क्या सभी  विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में किताबों की अहमियत से पूर्णतः परिचित हैं ? सच पूछें तो  कुछ विद्यार्थियों को छोड़कर जो पुस्तकों को सिर्फ डिग्री पाने का साधन मानते हैं, बाकी सभी विद्यार्थी कमोबेश यह मानते  हैं कि आज के चुनौती भरे दौर में  पुस्तकों से दोस्ती बनाए रखना बीते सालों की तुलना में ज्यादा जरुरी है, बेशक  किताबों का स्वरुप और उसको पढ़ने का तरीका कुछ भिन्न ही क्यों न हो. 

 
दरअसल, मानव जीवन में पुस्तकों का बड़ा महत्व है. मानव सभ्यता के विकास का दस्तावेज हैं पुस्तकें, प्राचीन काल से अबतक के समय में असंख्य लोगों की रचनात्मकता, कल्पनाशीलता, वैज्ञानिकता, संघर्षशीलता आदि को बखूबी रेखांकित करती है पुस्तकें. साथ ही विनाश और आपदा के पलों का विश्लेषण भी यहां मौजूद है. जानेमाने रंगकर्मी सफदर हाशमी अपनी एक कविता में कहते हैं, "किताबें करती हैं बातें/बीते ज़मानों की/दुनिया की, इंसानों की/आज  की, कल की/एक-एक पल की/ख़ुशियों की, ग़मों की/फूलों की, बमों की/जीत की, हार की/प्यार की, मार की/क्या तुम नहीं सुनोगे/इन किताबों की बातें?/किताबें कुछ कहना चाहती हैं/तुम्हारे पास रहना चाहती हैं... ..." ज्ञातव्य है कि किताबों के माध्यम से संसार भर के देशों के साहित्य, उनका खानपान, उनकी जीवनशैली, वहां की जलवायु, उनकी शिक्षा और शासन पद्धति आदि न जाने कितनी बातें हम घर बैठे जान पाते हैं. इससे हम एक दूसरे के कॉमन लिंक्स और प्राथमिकताओं के विषय में जानकार परस्पर करीब आते हैं. एक प्रकार से पुस्तक हमारे लिए फ्रेंड, फिलोसफर और गाइड है. 
अमेरिकी शिक्षाविद् चा‌र्ल्स विलियम एलियोट तो कहते हैं, "किताबें  दोस्तों में सबसे शांत और स्थिर हैं; वे सलाहकारों में सबसे सुलभ और बुद्धिमान हैं, और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान." तो आइए आज जानते हैं कि पुस्तकों से  दोस्ती को कैसे बनाए रखा जाय और इस दोस्ती के कौन-कौन से बड़े लाभ हैं.  
    
दिनभर के टाइम टेबल की समीक्षा करते हुए कोर्स के किताबों के अलावा अन्य किताबों के लिए रोजाना कुछ समय निर्धारित कर दें. शुरू में अपने रूचि के विषयों से संबंधित केवल दो किताबों को साथ रख लें. दिन में साहित्य या मैनेजमेंट या जनरल स्टडीज  की एक अच्छी किताब लें. रात में सोने से पहले कोई मोटिवेशनल या अध्यात्मिक किताब पढ़ें. इससे आपको प्रेरणा, प्रोत्साहन और मन की शांति मिलेगी. दोनों तरह की किताबों से ज्ञानवर्धन तो होगा ही. हां, आपको  कोर्स की किताबों को पढ़ने के बाद जब भी ब्रेक या अवकाश मिले, तब भी इन किताबों को पढ़  सकते हैं. इस सिलसिले को अगले 60 दिनों तक जारी रखने  से यह आपकी आदत में शुमार हो जाएगा और फिर तो आप किताबों की मैजिकल संसार के आजीवन सदस्य बन जायेंगे. 


अब कुछ बातें इसके असीमित फायदों की. जब और जहां इच्छा हो पुस्तक पढ़ना आसान है. खासकर तन्हाई और लॉक डाउन जैसी स्थिति की सबसे अच्छी हमसफर होती हैं किताबें. अपनी रूचि की किताबों को पढ़ने से अच्छा फील होता है. इससे आगे पढ़ने की इच्छा बलवती होती है. इस प्रक्रिया में एकाग्रता से अध्ययन करने का अभ्यास हो जाता है. यकीनन अच्छी किताबें विद्यार्थियों को अच्छी जानकारी और ज्ञान देने के अलावे उन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मोटीवेट भी करती हैं. अच्छा वक्ता बनने में इससे बहुत मदद मिलती है. दिमाग अच्छे विचारों और पॉजिटिव बातों  में व्यस्त रहता है. नकारात्मकता में कमी से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. परिणाम स्वरुप स्ट्रेस की समस्या नहीं होती और अच्छे कार्यों  में समय बिताना अच्छा लगता है. ऐसे में मेमोरी पॉवर भी उन्नत होता है. इन सब पॉजिटिव बातों का समग्र प्रभाव रात में अच्छी नींद के रूप में सामने आता है. किताबों से रिश्ते के और भी कई छोटे-बड़े फायदे हैं. तभी तो नोबेल पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध 
अमेरिकी उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे गर्व से कहते हैं, "एक किताब जितना वफादार कोई दोस्त नहीं है."

 (hellomilansinha@gmail.com) 

      
                             ... फिर मिलेंगे, बातें करेंगे - खुले मन से ... 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता"  में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com