Friday, June 26, 2020

मोटिवेशन: जिंदगी जीने का नाम

                            - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

भगवान बुद्ध कहते हैं, "ख़ुशी इसपर निर्भर नहीं करती कि आपके पास क्या है  या आप क्या हैं. ये पूरी तरह से इस पर निर्भर करती है कि आप क्या सोचते हैं." सच कहें तो यह विचार हमें दुःख की  मानसिकता से बाहर निकालने में भी बहुत मदद करता है. जीवन गतिशील है और हर विद्यार्थी को अपने सपनों को साकार करने और अपने छोटे-बड़े लक्ष्यों तक पहुंचने की स्वाभाविक इच्छा होती है. स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत बड़ी है. विद्यार्थियों में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विविधता भी बहुत है. लेकिन हर साल या हर सेमेस्टर के रिजल्ट के दिन रिजल्ट शीट में वही विद्यार्थी टॉप टेन या ट्वेंटी में जगह हासिल कर पाते हैं, जो हमेशा सोच के स्तर पर पॉजिटिव और यथार्थवादी बने रहते हैं. महात्मा गांधी का स्पष्ट कहना है, "व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है." सचमुच, इन महापुरुषों के विचारों पर गौर करें तो विद्यार्थियों के लिए जीवन पथ पर दृढ़ता और ख़ुशी-ख़ुशी बढ़ते जाना आसान हो जाएगा. भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का जीवन इसका ज्वलंत प्रमाण है.


कभी ख़ुशी, कभी गम के मिलेजुले दौर से हर विद्यार्थी गुजरता है. यह सही है कि सभी छात्र-छात्राएं ऐसा जीवन जीना चाहते हैं जहां ज्यादा-से-ज्यादा ख़ुशी हो और कम-से-कम गम. इसके लिए सब अपने-अपने तरीके से जीवन जीने का प्रयास करते हैं. ज्ञानीजन बराबर कहते रहे हैं कि पूरी निष्ठा और विश्वास से यथासंभव प्रयास करते रहें. कभी भी किसी काम को बीच में न छोड़ें. फल क्या होगा इसकी चिंता कार्य करते वक्त कदापि ना करें. एक किसान के बारे में सोचें. अगली फसल  के लिए जमीन को जोतते या तैयार करते वक्त या जमीन में बीज डालते या पौधा लगाते समय वह फल के विषय में ज्यादा नहीं सोचता है. वह बस इस आत्मविश्वास से काम करता है कि जो कुछ हमारे अख्तियार में है, उसे सर्वश्रेष्ट तरीके से करते हैं. उसे अच्छी तरह मालूम होता है कि मौसम सहित कतिपय बाहरी फैक्टर्स अपेक्षित फल पाने में अवरोध बन सकते हैं. ऐसा कई बार होता भी है. लेकिन इस कारण किसान अपना 100 % देने से बचने की कोशिश नहीं करता. देखा गया है कि अधिकांश समय उसे अपनी कोशिशों के अनुरूप ही फल मिलता है. अनेकानेक विद्यार्थी किसान की मानसिकता से ही अध्ययन में जुटे रहते हैं. खूब मेहनत करते हैं. नकारात्मकता से भरसक दूर रहते हैं और इसी कारण खुश भी रहते हैं. कामयाबी तो मिलती ही है.
                                   
एक सच्ची घटना बताता हूँ. एक दिन दो मित्र अपने-अपने घर से एक ही ऑटो में  रेलवे स्टेशन की ओर चले. उन्हें एक प्रतियोगिता परीक्षा के लिए प्रदेश की राजधानी जाना था. घर से स्टेशन के बीच जाम के कारण वे लोग कुछ देर से स्टेशन पहुंचे. टिकट लेकर जब तक वे प्लेटफार्म पर  पहुंचते उनकी ट्रेन निकल चुकी थी. दोनों को बहुत अफ़सोस हुआ. लेकिन उनमें से एक ने तुरत उस गम को पीछे छोड़कर यह सोचना शुरू किया कि जो होना था वह तो हो गया, अब विकल्प क्या है? वह मोबाइल के जरिए यह पता करने में जुट गया कि ट्रेन या बस या टैक्सी से समय से राजधानी पहुंचना संभव है या नहीं. दूसरी ओर उसका साथी थोड़ी देर तो माथा पकड़ कर बैठा रहा, फिर ऑटोवाले और सड़क पर जाम के लिए पुलिसवाले और न जाने किसको-किसको कोसने लगा. इसके बाद  ट्रेन मिस करने के विषय में विस्तार से किसी दोस्त को बताता रहा. उसने तो गम की दरिया में न जाने इस बीच कितने गोते लगाए. और फिर जब साथ चल रहे लड़के को घर लौटने को कहने लगा तब उसे बताया गया कि चिंता की कोई खास बात नहीं है, क्यों कि एक ट्रेन जो तीन घंटे लेट चल रही है वह अगले बीस मिनट में आनेवाली है जिससे वे लोग  गंतव्य तक कमोबेश ठीक समय से पहुंच जायेंगे. इस वाकया से यह साफ़ है कि एक ही घटना को दो अलग-अलग मानसिकतावाले विद्यार्थी ने अलग-अलग रूप में लिया और तदनुसार रियेक्ट किया.
  
विचारणीय बात है कि  परेशानी या गम का वक्त सभी छात्र-छात्राओं को  हमेशा एक मौका देता है खुद को संयत और शांत रखकर उस समय उपलब्ध संभावित विकल्पों पर विचार करने का और उनमें से सबसे अच्छे विकल्प का उपयोग करके मंजिल तक पहुंचने का. परेशानी के समय परेशान होने, उत्तेजित होने, खुद को और परिस्थिति को कोसने का कोई लाभ नहीं होता. नुकसान तो अवश्य होता है. कहने का मतलब यह कि विद्यार्थीगण ख़ुशी या गम को जीवन का महज एक पड़ाव मानकर पॉजिटिव सोच के साथ बस अपना मूल काम करते रहें तथा जीवन को एन्जॉय करते चलें. जो होगा, सब बढ़िया होगा.  

(hellomilansinha@gmail.com)  

        
      ... फिर मिलेंगे, बातें करेंगे - खुले मन से ... 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" में प्रकाशित
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Tuesday, June 2, 2020

वेलनेस पॉइंट: लॉक डाउन में छूट से बचाव की बढ़ी चुनौती

                               - मिलन  सिन्हा, वेलनेस कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
कई आर्थिक-सामाजिक कारणों से कोविड 19 लॉक डाउन में ढील देने का सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बरकरार है. लाखों की संख्या में कामगारों और मजदूरों का सामान्य-असामान्य तरीके से घर लौटना जारी है. कार, बस, ट्रेन और फ्लाइट का परिचालन प्रारंभ हो चुका है. अगले कुछ दिनों में मार्केट और अन्य सार्वजनिक स्थानों में लोगों की भीड़ बढ़ेगी जब धीरे-धीरे आर्थिक और अन्य गतिविधियां सामान्य होने लगेंगी.  दूसरी ओर कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, बेशक कोरोना पॉजिटिव लोगों के स्वस्थ होकर घर लौटने का प्रतिशत भी बढ़ रहा है. चिकित्सा एवं हेल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिन बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे. बड़ा सवाल है कि करोड़ों लोग जो लॉक डाउन के कारण चाहे-अनचाहे घर में सुरक्षित रहने के आदी हो चुके हैं, जब उनमें से एक बड़ी संख्या को घर से बाहर जाना पड़ेगा तो फिर उन्हें कोरोना के संक्रमण से खुद बचे रहने और अपने परिवार के लोगों को बचाए रखने के लिए क्या करना चाहिए जिससे कि सभी रोगमुक्त और हेल्दी रह सकें? 

यकीनन यह चुनौती लॉक डाउन वाली चुनौती से भिन्न है और एक प्रकार से बड़ी भी. अब कामकाजी लोगों को अपने-अपने काम के सिलसिले में हफ्ते में 5-6 दिन रोजाना 8-10 घंटे घर से बाहर रहना पड़ेगा. किसी-न-किसी कारण से घर में भी बाहरी लोगों का आना-जाना कमोबेश  शुरू हो जाएगा. घर की महिलाओं और बच्चों को भी मार्केट, कोचिंग, ट्यूशन आदि के लिए निकलना पड़ेगा. इन सारी परिस्थिति में लोगों को कुछ अहम बातों का अनुपालन स्वयं काफी जिम्मेदारी और सख्ती से करना पड़ेगा. 

स्वस्थ तन सुन्दर मन:

बेहतर होगा कि चार कहावत को हमेशा याद रखें और तदनुरूप कार्य करें. पहला यह कि "जान है तो जहान है," दूसरा "हेल्थ इज वेल्थ अर्थात स्वास्थ्य ही संपत्ति  है,"  तीसरा "सावधानी गई और दुर्घटना घटी" और चौथा यह कि "रोकथाम इलाज से बेहतर" है. इसके बाद भी अगर किसी दुर्घटनावश संक्रमित और बीमार हो गए तो तनिक भी घबराए बगैर तुरत यथोचित मेडिकल ट्रीटमेंट करवाएं. अनावश्यक रूप से घबराना आपके साथ-साथ आपके परिवार के लिए अन्य कई हेल्थ प्रॉब्लम का कारण बन सकता है. ऐसे भी हमारे देश में कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव होनेवालों की संख्या उत्साहवर्धक है. आनेवाले महीनों में वैक्सीन तथा सही मेडिसिन की खोज और उपलब्धता की पूरी उम्मीद भी है. 

हां, सबको समय-समय पर यह बताना जरुरी है कि अपवादों को छोड़कर लॉक डाउन का ऑफिसियल दौर ख़त्म  हो रहा है और उसी के साथ स्व-अनुशासन वाला लॉक-डाउन अर्थात  "अपना लॉक डाउन" शुरू हो गया है. इस दौर में ज्यादा सावधान, सचेत, शांत और अंदर से पूर्णतः स्वस्थ और स्ट्रांग बने रहना जरुरी है. 
    
तो आइए संकट के इस पड़ाव पर मुख्यतः सेहत की दृष्टि से इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं. 

पहले घर से शुरू करते हैं : रहें सदा सेहतमंद 

- लॉक डाउन से मिले सबक से अपने और अपने परिवार के हेल्थ को अपने एजेंडा में सदा पहले नंबर पर रखें. घर के लिए कुछ बुनियादी बातों को तय कर एक रूटीन बना लें जिसे मोटे तौर पर आगे फॉलो करना है. इसे बैलेंस्ड लाइफस्टाइल के सूत्र कह सकते हैं. परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करें, क्यों कि एक की गलती अन्य सबके लिए आफत बन सकती है.  
- लॉक डाउन के पिछले करीब साठ दिनों की अवधि में आपने जो भी अच्छी आदतें दिनचर्या में शामिल की हैं, उन्हें दृढ़ता से आगे जारी रखें. इसके हेल्थ बेनिफिट आगे भी आपको ही मिलेंगे.  
- इस समय रात में 7-8 घंटे की नींद का आनन्द लेने का सुनहरा मौका है. नींद एक अदभुत मेडिसिन है. इससे स्वास्थ्य को बहुत लाभ होता है. 
- सुबह नींद से उठने के बाद बैठ कर आराम से गुनगुना पानी पीएं. अच्छी सेहत के लिए हाइड्रेटेड और ऑक्सीजिनेटेड रहना लाजिमी है. 
- नित्य कर्मों से निवृत होकर कम-से-कम 20-30 मिनट फ्री हैण्ड एक्सरसाइज या पवनमुक्तासन समूह के कुछ आसन कर लें. सारे अंग सक्रिय होंगे. इससे आप हल्का और अच्छा फील करेंगे. 
- कोविड 19 संकट के मौजूदा वक्त में शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए प्राणायाम और मेडीटेशन का नियमित अभ्यास बहुत लाभकारी है. इससे हमारा रेस्पिरेटरी और नर्वस सिस्टम सहित सभी तंत्र बेहतर काम करते हैं. अभी सुबह-शाम नाश्ते से थोड़ा पहले 20-30 मिनट इनका अभ्यास करें. 
- तुलसी, काली मिर्च, लोंग, दालचीनी और अदरक से बना एक कप काढ़ा  सुबह - शाम चाय  की तरह पीएं. आंवला, नींबू सहित विटामिन सी बहुल चीजों के सेवन के साथ-साथ अन्य आसान तरीकों से अपने इम्यून सिस्टम को हमेशा स्ट्रांग बनाए रखने का प्रयास जारी रखें. सम्प्रति इसकी जरुरत अपेक्षाकृत अधिक है. 
- घर का बना सात्विक एवं पौष्टिक खाना ही खाएं, बेशक मन फ़ास्ट फ़ूड या नॉन वेजीटेरियन या चटपटा खाने के लिए मचलता हो. "हम बीमार तो घर परेशान" वाली बात को बराबर ध्यान में रखें. खाने में मौसमी फल और सब्जी को जरुर शामिल करें. रोज रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर पीएं. 
- संभव हो तो जरुरी घरेलू कार्यों को आपसी सहयोग से कर लें, जिससे कि अगले कुछ हफ़्तों तक घरेलू काम करनेवालों (डोमेस्टिक हेल्प) को घर बुलाने की जरुरत न हो.     
- लॉक डाउन के दौरान अस्थमा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ह्रदय रोग, किडनी, लीवर आदि के जो मरीज, खासकर सीनियर सिटीजन अपने डॉक्टर से रेगुलर चेकअप से वंचित रह गए थे और किसी तरह पहले बताई गई दवाइयों से काम चला रहे थे, अब वे एक बार डॉक्टर से बात करके जांच करवा लें. इससे शारीरिक लाभ के साथ-साथ मानसिक संतोष व शांति भी मिलेगी.

अब बाहर की बात: घर से बाहर जाने पर बरतें ये सावधानियां 

- स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय जारी निर्देशों का पूर्णतः पालन करें. मसलन जब भी घर से बाहर निकलें मास्क जरुर पहनें, दो गज दूरी बनाकर रखें, भीड़वाले जगह में जाने से बचें, हाथ मिलाने या गले मिलने से तौबा करें. संभव हो तो दस्ताने और चश्मा का उपयोग भी करें. 
- टहलने का मन करे तो अभी कुछ और दिनों तक छत पर या अपने कंपाउंड में ही टहल लें. विकल्प के रूप में कहीं भी स्पॉट जम्पिंग या रनिंग कर सकते हैं. 
- बिलकुल जरुरी हो तभी मार्केट जाएं और वह भी उस समय जब भीड़ की संभावना कम जान पड़े.  एक छाता लेकर बाजार जाएं. इससे धूप व बारिश से बचाव होगा और एक-दूसरे से दूरी भी बनी रहेगी. पेमेंट डिजिटल तरीके से करने का प्रयास करें. मार्केट का काम जल्द पूरा कर घर लौटें. दोस्त आदि मिल भी जाएं तो वहां रुककर लंबी बात करने के बजाय घर लौट कर फोन पर पूरी बात कर लें.  
- घर में आकर पहले खुद को अच्छी तरह स्वच्छ एवं सेनिटाइज करें. जूते-चप्पल बाहर निकाल दें. ये बातें लॉक डाउन के वक्त बारबार बताई गई हैं. बस उसे याद रखकर काम करना है. 
- संभव हो तो कम भीड़वाले रास्ते से अपने वर्क प्लेस पहुंचे, बेशक दूरी थोड़ी ज्यादा तय करनी पड़े. बस, लोकल ट्रेन, कैब आदि में सरकारी गाइड लाइन फॉलो करें और अतिरिक्त एहतियात बरतें. ऑफिस पहुंचकर साबुन से हाथ व चेहरा धो लें. साथ में एक हैण्ड सेनिटाइजर तो रखें ही. 
- वर्क प्लेस में ऐसे आरामदेह और वाशेवल कपड़े पहनकर जाएं जिससे शरीर कमोबेश ढका रहे. मसलन पूरे बांह की कमीज और फुल पेंट. इसे घर लौटकर तुरत वाश कर लें. मतलब एक ड्रेस को बिना साबुन या डिटर्जेंट से धोए दुबारा न पहनें.    
- अपने कार्य स्थल पर खाना और पानी फिलहाल घर से ही ले जाएं. जो ले गए हैं उसे ही खाएं. दूसरों को न अपना खाना शेयर करें और न ही उनके प्लेट या टिफ़िन से कुछ लें. फिलहाल भावनात्मक भाईचारा निभाएं. इस दौरान बाहर की चीजें बिलकुल न खाएं. हां, गुनगुना पानी  पीने की आदत डालें. इससे स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ होंगे. ठंडा पानी या सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से अभी जितना बच सकें, उतना अच्छा. 
- ऑफिस या कार्य स्थल में अपना सब काम यथासंभव ऑफिस टाइम के भीतर ख़त्म करने का प्रयास करें. और फिर वहां से सीधे घर के लिए निकलें. अगर आप बॉस भी हैं तो यह भी सुनिश्चित करें कि ऑफिस टाइम के बाद ऑफिस बंद हो जाए, जिससे सब लोग समय से घर पहुँच सकें. इससे सारे स्टाफ का स्ट्रेस कम होगा और वे अपना व अपने परिवार का बेहतर ख्याल रख पायेंगे.
- ऑफिस के नाम पर अनावश्यक रूप से बाहर समय बिताना और मद्दपान, धुम्रपान आदि के चंगुल में फिर से फंसना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. घरवालों को भी इस पर नजर रखनी चाहिए.    
- घर लौट कर हेलमेट, चाभी, लैपटॉप, फाइल आदि को सेनिटाइज कर बच्चों की पहुँच से दूर एक सुरक्षित स्थान पर रखें. बहुत जरुरत हो तभी घर में उनका इस्तेमाल करें वह भी दुबारा सेनिटाइज करके. हेल्दी लाइफ हेतु पर्सनल हाइजीन की अहमियत को तो आप अच्छी तरह जानते ही हैं.
- फ्रेश होकर टीवी में नेगेटिव न्यूज़ में व्यस्त हो जाने के बजाय परिवार के लोगों के साथ बातें करें, लूडो, कैरम आदि खेल खेलें या कॉमेडी सीरियल-फिल्म देखें या एनिमल प्लानेट चैनल देखें या कोई साहित्यिक-अध्यात्मिक-मोटिवेशनल किताब पढ़ें या संगीत का आनंद लें. कहने की  जरुरत नहीं कि एकाधिक मामलों में संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है.
- स्थिति सामान्य होने तक पार्टी या सोशल गेदरिंग से दूर रहें, पर इमोशनल क्लोजनेस बनाए रखें. जिसकी जितनी मदद कर सकते हैं, जरुर करें. इस क्रम में खुद को भी महफूज रखें.  
- सबसे अहम बात यह कि अपने सोच को सदा पॉजिटिव रखें. इसका हमारी सेहत पर गहरा असर होता है. देखा गया है कि कोविड 19 से पीड़ित हों या अन्य किसी रोग से, पॉजिटिव सोचवालों की रिकवरी अधिक फ़ास्ट होती है.   (hellomilansinha@gmail.com)

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# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 27 मई, 2020 को प्रकाशित
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