कविता : जरूरी तो नहीं
* मिलन सिन्हा
* मिलन सिन्हा
तुम जो चाहो सब मिल जाये, जरूरी तो नहीं
तुम जो कहो सब ठीक हो, जरूरी तो नहीं .
दूसरों से भी मिलो, उनकी भी बातें सुनो
वो जो कहें सब गलत हो, जरूरी तो नहीं .
सुनता हूँ यह होगा, वह होगा,पर होता नहीं कुछ
जो जैसा कहे, वैसा ही करे, जरूरी तो नहीं .
जिन्दगी के हर मुकाम पे इम्तहान दे रहा है आदमी
इम्तहान के बाद ही परिणाम मालूम हो, जरूरी तो नहीं .
संघर्ष से मत डरो, प्रयास हमेशा तुम करो
हर बार तुम्हें हार ही मिले, जरूरी तो नहीं .
कहते हैं बेवफ़ाई एक फैशन हो गया है आजकल
पर हर कोई यहाँ बेवफ़ा हो, जरूरी तो नहीं .
जनता यहाँ शोषित है, शासक भी है यहाँ शोषक
हर शासक अशोक या अकबर हो, जरूरी तो नहीं .
जानता हूँ 'मिलन' का अंजाम जुदाई होता है
पर हर जुदाई गमनाक हो,जरूरी तो नहीं .
कहते हैं बेवफ़ाई एक फैशन हो गया है आजकल
पर हर कोई यहाँ बेवफ़ा हो, जरूरी तो नहीं .
जनता यहाँ शोषित है, शासक भी है यहाँ शोषक
हर शासक अशोक या अकबर हो, जरूरी तो नहीं .
जानता हूँ 'मिलन' का अंजाम जुदाई होता है
पर हर जुदाई गमनाक हो,जरूरी तो नहीं .
Did you like the poem? Do comment. Will meet again with Open Mind.All the Best.
Sir, bahut acha laga apki kabita-JARURI TAU NEHIN
ReplyDeleteThanks a lot. Pl. keep reading & reacting(with your name etc.) All the Best.
DeleteYe sahi hai.Ye haquiqat bayan karta hai.
ReplyDeleteThanks for reading & appreciating. All the Best.
DeleteNice & vry true.
ReplyDeleteAap bahut gahraee se sochte hain.isliye etna achha leekhte hain.Bahut achha laga.SG
ReplyDeleteThanks a lot for reading & appreciating/encouraging. All the Best.
Deletefantastic piece of work..:)
ReplyDeletevery nice.good thought.
ReplyDeleteThanks for reading & appreciating. All the Best.
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