* मिलन सिन्हा
पहले खुद पर ऊँगली उठा सको तो जानें
पहले गैर के आंसू पोंछ सको तो जानें .
जानना समझना तो अभी बहुत कुछ है यहाँ
कितने अज्ञानी है हम, पहले यही जान सको तो जानें .
भाई - भाई में झगड़ा, बाप-बेटे में मतान्तर
रिश्तों की बुनियाद अब क्या है बता सको तो जानें .
जिसे देखो वही पैसे के पीछे भाग रहा है
पैसा में ऐसा क्या है समझा सको तो जानें .
आँख होते हुए भी बहुत लोग अंधे हैं यहाँ
इन आंखवालों को नजर दे सको तो जानें .
गोदाम भरे पड़े हैं, पर गरीब भूखा है यहाँ
इन गरीबों के लिए कुछ कर सको तो जानें .
सुनता हूँ गरीबी, बेकारी, बेबसी अब नहीं रहेगी यहाँ
हरियाली,खुशहाली से 'मिलन' कब होगा बता सको तो जानें .
Enjoy the poem & post your comments, please. All the Best.
the poem contains few philosophical lines along with satire.Sacretes said :a man has knowledge if he knows that he does not know.;today every man is mad behind money and he is ready to sacrifice the charactor,moral and relations for money.While Shakespear has justified in all his plays that if a man loses his character , he will lose everything in life.thnks for posting a good poem. G P Tripathi
ReplyDeleteThanks for reading & posting a very thoughtful comment, especially by quoting few lines of two great persons, Socrates & Shakespeare. Pl. keep reading, sharing & reacting. All the Best.
ReplyDeleteWe are the first teacher for ourselves. So we must first lead to eliminate the bad elements from our society
ReplyDeleteThanks for reading & sharing your point of view. You are correct. That's why it is said,'Charity begins at home." and " ALL IMPROVEMENTS START WITH 'I'. Keep reading, sharing & reacting. All the Best.
Deleteजीवन की विसंगतियां सबको चुभती है। इसे शब्दों में कहने का हौंसला और हुनर कुछ ही लोग रखते हैं, आप उनमें से एक हैं, बधाई।
ReplyDeleteअशोक गोयल
दिल्ली
धन्यवाद। आपको मेरी असीम शुभकामनाएं।
Deletegoodone
ReplyDeleteThanks for reading & commenting. All the Best.
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