Tuesday, March 22, 2022

जीवन और सेहत को ऊर्जा से भर देता है ब्रह्ममुहूर्त

                                        - मिलन  सिन्हा,  स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट 

आजकल अनेक  लोग जरुरत-बेजरूरत और जाने-अनजाने रात में देर तक जागते हैं और सुबह देर से सोकर उठते हैं. कई मेडिकल रिसर्च और सर्वे में पाया गया है कि बराबर रात में देर से सोनेवाले लोगों को ह्रदय रोग सहित कई अन्य रोगों का शिकार होना पड़ता है. हाल ही में यूरोपियन हार्ट जर्नल में एक सर्वे के हवाले से बताया गया है कि रात के बारह बजे के बाद सोनेवालों में दिल की बीमारी का खतरा करीब 25 प्रतिशत ज्यादा होता है, जब कि 10 से 11 बजे के बीच सोनेवालों को इसका खतरा सबसे कम होता है. स्वाभाविक रूप से देर से सोनेवाले सुबह देर से उठेंगे भी. इससे बायोलॉजिकल क्लॉक का संतुलन  बिगड़ता है और नतीजतन कई अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं.


अंग्रेजी में कहते हैं, “अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज मेक्स ए मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज” अर्थात रात में जल्दी सोनेवाले और सुबह जल्दी उठनेवाले लोग स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान होते हैं. सदियों पहले आयुर्वेद में ब्रह्ममुहूर्त अर्थात सूर्योदय से पहले सोकर उठने को स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम बताया गया है. आइए, इसके पीछे जो रोचक और ज्ञानवर्धक तर्क और तथ्य हैं, उस पर थोड़ी चर्चा करते हैं. 


दिनभर के 24 घंटों में से हर 48वें मिनट में मुहूर्त बदलता है. इस हिसाब से हर एक दिन में कुल 30 मुहूर्त होते हैं. इन्हीं तीस मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है ब्रह्म मुहूर्त जो  सुबह के 4.24 बजे से 5.12 के मध्य का समय होता है. ज्ञानीजन कहते हैं कि इस समय उठनेवाले लोगों को आंतरिक शक्ति, बुद्धि, सेहत आदि के मामले में अप्रत्याशित लाभ मिलता है.


धर्मग्रंथों की बात करें तो ऋग्वेद के अनुसार 'प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृनिधत्तो, तेन प्रजां वर्धयुमान आय यस्पोषेण सचेत सुवीर:” अर्थात सूर्योदय से पहले उठनेवाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है. कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति  इस समय को सोकर बर्बाद नहीं करेगा. इस समय उठने वाले लोग हमेशा सुखी, ऊर्जावान बने रहते हैं और उनकी आयु लंबी होती है. सामवेद में लिखा गया है, “यद्य सूर उदितो नागा मित्रो र्यमा,  सुवाति सविता भग:”. अर्थात व्यक्ति को सूर्योदय से पहले ही शौच और स्नान आदि करके ईश्वर की उपासना करनी चाहिए. इस समय व्याप्त अमृत तुल्य हवा से स्वास्थ्य और लक्ष्मी दोनों में वृद्धि होती है. तभी तो इसे सिख धर्म में अमृत बेला कहा गया है.


सामान्य ज्ञान और चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से देखें तो इस समयावधि में वातावरण शांत और ज्यादा ऑक्सीजनयुक्त होता है. वायु और ध्वनि प्रदूषण कम होता है. शुद्ध   हवा   में  सांस   लेने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. पूरे शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है. ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. परिणाम स्वरुप मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता उन्नत होती  है. इतना ही नहीं, ब्रह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोगों में वात, पित्त और कफ में बेहतर संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर को निरोगी रखने में बहुत मदद मिलती है. 


क्या है वात, पित्त और कफ


आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर की प्रकृति तीन मुख्य तत्व के अनुसार होती है - 1. वात (वायु व आकाश), 2. पित्त (अग्नि व जल) और 3. कफ (पृथ्वी व जल) हैं. इन तत्वों की मात्रा समय के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है.
वात- मांसपेशियों, सांस प्रणाली, ऊत्तकों की गतिविधियों से जुड़ा है.
पित्त- पाचन, उत्सर्जन, चयापचय और शरीर के तापमान प्रक्रियाओं से जुड़ा है.
कफ- शरीर की संरचना यानी हड्डियों, तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों से संबंधित है, जो कोशिकाओं के बेहतर संचालन और जोड़ों को लूब्रिकेशन में अहम भूमिका निभाता है.


शौच आदि से निवृत होकर योग, मेडिटेशन, प्रार्थना और अध्ययन  करने के मामले में यह समय सबसे अच्छा  माना गया है. इससे अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना आसान होता है जिसके बहुआयामी लाभ हैं. वैज्ञानिक तथ्य है कि इस समय उठनेवालों एवं सकारात्मक एक्टिविटी में समय बिताने वालों का मेमोरी पॉवर और एकाग्रता उन्नत होता है. यही कारण है कि विद्यार्थियों को इस समय अध्ययन करने को प्रेरित किया जाता है. इसके अलावे यह भी पाया गया है कि ब्रह्ममुहूर्त में उठने लोग अपना समय प्रबंधन बेहतर ढंग से कर पाते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता में उछाल देखा जाता है. हां, यहां इस बात का ध्यान रखना निहायत जरुरी है कि ब्रह्ममुहूर्त में उठने के लिए और खुद को तरोताजा महसूस करने के लिए आप रात में कम-से-कम छह से सात घंटे की अच्छी नींद का आनंद उठाएं. सार संक्षेप यह कि आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में जागने और  पॉजिटिव सोच के साथ काम करने से हम लोग  ज्यादा सक्रिय एवं रोग मुक्त रह कर लम्बी उम्र तक जीवन का आनंद ले सकते हैं. 

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Wednesday, December 15, 2021

Motivation: Eat Right and Eat Mindfully

              - Milan K. Sinha, Stress Management & Wellness Consultant 

There is no denying the fact that every living being including the human being needs food to eat in order to grow and survive. We also know that except human beings all other living creatures on this earth are in need of a limited variety of eatables. We, in fact, can’t think of a modern day living without a large variety of food items and its preparations, more for satisfying our tongue than for survival and for maintaining a better health.

 
Maybe that is the reason why in today’s fast life a large section of city dwellers fall prey to eating highly spicy, oily, salty and sugary items often and that too in a hurried manner and in a state of anxiety or stress. 


Moreover, most of us do not eat our food mindfully or consciously. We just finish our plate while engaged in watching TV, talking on mobile, finishing tasks on laptop, arguing on insignificant matters or in such other activities which can very well be avoided or at least deferred for 15-20 minutes in order to eat properly and nicely. 


Believe it or not, this is one main reason which makes them indisposed frequently. “One pill for every ill” syndrome complicates the situation further. This adversely impacts both their domestic as well as professional life in several ways. 


Now before moving forward to dwell upon various dimensions of this interesting subject, let us begin with the basic question: do we live to eat or eat to live? 


Undoubtedly, the simple and most logical answer is, primarily we eat to live. If that is so, the next question must be asked and that is, what should be our diet in order to live well and healthy? 


Taking healthy food does mean eating a variety of foods that contain nutrients we need to maintain our health and keep us going. These nutrients include protein, carbohydrates, fat, vitamins, minerals and water. 


Water forms about 70% of the body weight and is an important constituent of all body cells. All the chemical reactions and processes in the body take place in the medium of water. Sufficient quantities of water should, therefore, be ingested daily. 


In other words, the crucial part of healthy eating is nothing but having a balanced diet. And a balanced diet - or a good diet - means consuming eatables from different food groups in the right quantities, because one single food group cannot provide everything an average healthy person needs. 


Nutritionists opine that there are five main food groups: 1) Fruits 2) Vegetables 3) Whole grains 4) Milk and dairy products and 5) Egg, fish, meat, nuts, beans etc. Unquestionably, eating seasonal fruits and vegetables in reasonable quantities regularly has added advantages. 


Ok, fine. But is that all? No, besides the quality and quantity of what we eat throughout the day, it is equally important to keep in mind when to eat our food and how much. There is an age old saying which goes like this: take the breakfast like a king or a queen, take the lunch like a prince or a princess and take the dinner like a pauper or a beggar. The message is quite loud and clear. Nonetheless, putting it briefly in simple words, our day should start early with highly nutritious items in good quantity. The lunch should be lighter than the breakfast and dinner the lightest, preferably taken before 9 pm. Maintaining a time gap of 4-5 hours between two meals is a healthy option. One point of caution which needs no emphasis is to consume moderate or little quantities of refined sugar and common salt.


It has been discovered that even factors such as how you eat your food can influence how many calories get into your system, which is very important in any case. Medical experts opine that the longer you chew your food, the more calories the body retains.

 
Yes, the number of calories we need (from the food we eat daily) can depend on several factors like our age, size, height, sex etc. As such, the normal requirement may vary from 1800 to 3000 calories per day. To say, an active older man will require fewer calories than an active young man. 


One more thing is to always keep in mind that we can’t control everything in our life, but we can control what we put in our body. To say precisely, we should avoid junk and processed food and also aerated drinks, as they contain less nutrition, yet more quantity of fat, sugar and salt. Instead, it’s far better to have homemade food cooked or prepared by using natural ingredients. Surprisingly, such food items prepared and consumed consciously from a health point of view in a routine manner can compensate for the requirement of medicine, if at all we’re about to fall sick. 


To put it differently, it can be said that we don’t have to eat less; we have to eat right and eat mindfully instead. Truly speaking, healthy eating is a way of life, which everyone should follow and practise in order to remain fit and fine. And who should know it better than any person working in today’s competitive environment that the healthier he is, the better he will perform and achieve his goals.


Before signing off, it is interesting to find what Thomas Alva Edison said in this regard long back, “The doctor of the future will give no medication, but will interest the patients in the care of the human frame, diet and in the cause and prevention of disease.” 

As always, I'm keen to know what you think on this subject. Hence, request you to post comments to share your views and experiences. Stay healthy and happy.


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Saturday, September 11, 2021

Wellness Point: How To Drink Water

                  - Milan K. Sinha, Stress Management & Wellness Consultant

Italian polymath of the highest order Leonardo da Vinci says, “Water is the driving force of all nature.” We also know well that “WATER is LIFE”; if there is no water, there is no future for all living beings; the human body contains more than 60% water; our mother earth has 71% water; our dependence on the water cycle is immense.  French scientist and explorer Jacques Yves Cousteau rightly asserts, “We forget that the water cycle and the life cycle are one.” 


Dr. Fereydoon Batmanghelidian internationally renowned researcher, author and advocate of the natural healing power of water says that “Water is the basis of all life and that includes our body. Our muscles that move our body are 75% water; our blood that transports nutrients is 82% water; our lungs that provide oxygen are 90% water; our brain that is the control center of our body is 76% water; even our bones are 25% water.” 
 
Can anyone deny these facts? Actually water related issues have many dimensions. In fact, our health is truly dependent on the quality and quantity of water we drink. Notwithstanding these facts, we are yet to learn well when to drink water and how and how much to drink water? This question may seem to be funny and insignificant at first sight but if we go through next few lines, we would surely appreciate the importance of it. 
 
In fact, drinking water has a system and a pattern to be followed in order to stay healthier. To say, if we learn and practise the proper way of drinking water, we can keep our body adequately hydrated and reasonably toxin free thereby reaping significant health benefits. To put it precisely, it is desirable for us to drink about three to four litres of water daily depending upon the season, our body type and nature of physical activity. We should take water slowly while seated comfortably. It is better to feel that water is going down our stomach slowly and effectively through the food pipe called oesophagus in medical terminology to quench our thirst and keep all organs active.
 
Experts do opine 1) not to drink water in between any meal, just before or after any meal. Truly speaking, we should drink water 30 to 40 minutes before and after any meal. 2) To keep the body hydrated during sleeping hours to avoid the possibility of brain and heart strokes at night. 3) To take few sips of water, whenever we feel stressed for whatever reason. It gives immediate relief. 
 
Drinking two glass of water, preferably lukewarm with two spoonful lemon juice poured in it during morning hours in empty stomach is highly advantageous for our health - heart, belly, intestine and eyes in particular. For added benefits, some honey (one spoonful, if you are not diabetic) can be added or some salt, preferably pink salt (quarter spoonful, if you don’t have high BP problem).
 
What about drinking "Luke Warm Water" instead of cold water as a matter of routine? Undoubtedly, it is always better to have lukewarm water than cold water. Health experts are of the view that by drinking lukewarm water, body fat deposits and toxins circulating in the blood are eliminated slowly from the body. It also helps improve blood circulation and lowers the risk of various health complications due to the presence of toxins in the body. 


In fact, drinking lukewarm water has other inter- related health benefits. It helps in nasal and throat congestion, digestion, reduction of body weight, prevention of pimples and acne, prevention of premature aging and skin infections, to name a few. Drinking lukewarm water has another big advantage - we are at a relatively lower risk of falling prey to a number of water borne diseases. 


In short, if we practice the art of drinking water, many of our health problems and diseases which include Arthritis, Heart burn, Migraine, Constipation, Colitis, Kidney problems, Asthma, High BP and Back pain, will be mitigated, if not completely eliminated without incurring any extra cost.


Finally, here’s a point of caution: In case you are under treatment of any disease or under any medical supervision, do follow the prescription of your doctor and/or seek his/her medical advice on the subject.


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Wednesday, July 21, 2021

आपका स्वास्थ्य आपके हाथ

                         - मिलन  सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट 

हाल ही में केन्द्र सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया जिससे प्लस टू के लाखों परीक्षार्थियों के चेहरे खिल गए, उनका मन हल्का हो गया और तनाव काफूर. दरअसल, प्रधानमंत्री  की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में विद्यार्थियों में कोरोना संक्रमण के बढ़ने की आशंका और खतरों के मद्देनजर सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया गया. केंद्र सरकार के इस निर्णय  के बाद सीआईएससीई और कई राज्यों के  परीक्षा बोर्ड ने भी अपने यहां की 12वीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने की घोषणा कर दी. सरकार के इस फैसले के बाद अनेक छात्रों और उनके अभिभावकों ने  प्रधानमन्त्री, शिक्षा मंत्री और बोर्ड अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया. बाद में  प्रधानमंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम छात्रों और उनके अभिभावकों से खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि छात्रों के व्यापक  हित में यह फैसला किया गया, जिससे कि हमारे विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके भविष्य की भी रक्षा हो सके. साफ़ तौर पर प्रधानमंत्री विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के प्रति फिक्रमंद रहे और उनको स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से बचाने हेतु उन्होंने यह अहम कदम उठाया. बहरहाल, अब विद्यार्थियों  के लिए यह विचारणीय सवाल है कि वे कोरोना महामारी या अन्य किसी भी परिस्थिति में कैसे खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकें. 
कहने की जरुरत नहीं कि इस मामले में हजारों चुनौतियों और जोखिमों के बावजूद प्रधानमन्त्री ने पूर्णतः स्वस्थ रहकर उनके सामने एक ज्वलंत उदाहरण पेश किया है. खैर, सच्चाई यह है कि मूल रूप से विद्यार्थियों का स्वास्थ्य खुद उनके हाथ में ही है. कैसे? आइए यहां कुछ आसान उपायों की चर्चा करते हैं.  


कहते हैं न कि मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए. तो कुछ भी हो जाए, सेहतमंद रहना है, इस संकल्प के साथ दिन की शुरुआत कीजिए. अंग्रेजी में कहते हैं मॉर्निंग शोज दि डे. अर्थात सुबह की अच्छी या बुरी शुरुआत ही दिन के अच्छा या बुरा गुजरने का संकेत होता है. अतः सुबह जल्दी उठने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए रात में जल्दी सोना अनिवार्य है, क्यों कि 7-8 घंटे की रात में नींद शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है. सुबह उठकर पहले शरीर को जलयुक्त यानी हाइड्रेटेड करें. सभी विद्यार्थी जानते हैं कि मानव शरीर में 65-70 प्रतिशत पानी होता है जिसे हर समय कमोबेश उस स्तर पर बनाया रखना बेहतर होता है. रोचक और जानने योग्य बात यह है कि पानी पीने की एक कला होती है, जिसके अंतर्गत बुनियादी तौर पर सुबह-सुबह कम-से-कम आधा लीटर पानी पीना, पानी हमेशा आराम से बैठकर पीना, खाने  के बीच में या खाने से तुरत पहले या तुरत बाद में पानी नहीं पीना शामिल है. दिनभर में मौसम और अपने शारीरिक जरुरत  के हिसाब से ढ़ाई से तीन लीटर पानी जरुर पीएं. पानी पीने में छात्र-छात्राएं इतना भी अनुशासन रख सकें तो न केवल सेहतमंद रह सकते हैं, बल्कि कई रोगों से बचे रह सकते हैं. 


खेलकूद, व्यायाम और योगाभ्यास शरीर को सक्रिय और स्वस्थ रखने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है. दिनभर के रूटीन में इसे जरुर शामिल कीजिए. और सिर्फ शामिल करके जैसे-तैसे इसे मत निबटाइए. जितना समय इस काम के लिए निर्धारित करें, उसका मनोयोग से आनंदपूर्वक सदुपयोग कीजिए. शरीर के इम्यून सिस्टम एवं मेटाबोलिज्म को मजबूत बनाए रखने के लिए यह बहुत जरुरी है. कुछ न कर सकें या कोरोना काल में बाहर जाना मुनासिब न समझें  तो घर में ही स्पॉट जम्पिंग-रनिंग, फ्री हैण्ड एक्सरसाइज और कुछ योगाभ्यास कर लें. 

 
बुनियादी तौर पर स्वाद के बजाय स्वास्थ्य को केन्द्र में रखकर खानपान करें. खाना खाने में कभी भी जल्दबाजी न करें. आराम से बैठ कर खूब चबाकर और खाने को एन्जॉय करते हुए खाएं. खाना पौष्टिक और सुपाच्य हो, यह बहुत जरुरी है. इसके लिए साबूत अन्न, दाल, मौसमी और हरी सब्जी, मौसमी फल, दूध, दही, ड्राई फ्रूट्स  आदि को भोजन में शामिल करें. सुबह का नाश्ता सबसे पौष्टिक और मात्रा में ज्यादा हो. रात में हल्का भोजन करें और वह भी रात आठ से नौ बजे के बीच. जंक, पैकेज्ड, प्रोसेस्ड, फ्रोजेन फ़ूड और कोल्ड ड्रिंक्स आदि स्वाद में तो अच्छे हो सकते हैं, लेकिन सेहत के लिए यकीनन अच्छे नहीं होते हैं. हाँ, अल्कोहल, सिगरेट, गुटखा और अन्य नशीली चीजों से बराबर दूर रहें. एक बात और. खाते वक्त टीवी, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर इंगेज न रहें और न ही आपस में कोई विवादित चर्चा करें. सार संक्षेप यह कि अच्छा सोचेंगे, करेंगे और खायेंगे तो बराबर स्वस्थ  रह पायेंगे.

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पाक्षिक पत्रिका "यथावत"  में प्रकाशित   

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Sunday, June 13, 2021

अच्छी सेहत के लिए जरुरी यह काम, रोज टहलें सुबह या शाम

                         - मिलन  सिन्हा, हेल्थ मोटिवेटर  एवं  स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट 

हाल ही में स्वास्थ्य पर एक परिचर्चा के दौरान अनायास ही कह दिया था - चलते रहेंगे तो चलते रहेंगे ! फिर गहराई में जाकर सोचा तो पता चला कि इस छोटे से वाक्य में कई तरह के अर्थ छुपे हैं. मनोज कुमार अभिनीत मशहूर हिन्दी फिल्म, 'शोर' का यह गाना भी बरबस याद आ जाता है : 'जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-शाम.....'

सच पूछें तो चलना-टहलना ऐसे तो एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, पर इसके परिणाम अत्यन्त  बहुआयामी एवं दूरगामी होते हैं. दरअसल, टहलना-चलना एक लोकतान्त्रिक सोच है, एक समावेशी दर्शन है और एक सम्पूर्ण विकास यात्रा भी. गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद,  महात्मा  गांधी, विनोबा भावे जैसे कितने ही महान व्यक्ति इसका ज्वलंत उदाहरण हैं. 

फादर ऑफ़ मेडिसिन हिप्पोक्रेटीस का तो कहना है कि मनुष्य के लिए टहलना सबसे अच्छी दवा है. शायद इसलिए इसे सौ मर्जों की एक दवा भी कहा जाता है.

बहरहाल, दुःख की बात है कि यह जानने-समझने के बावजूद  कि टहलना सबसे आसान व्यायाम है, अधिकांश लोग दिनभर में टहलने के लिए 20-30 मिनट का समय भी नहीं निकाल पाते हैं. ज्ञातव्य है कि हमारे देश में कार, बाइक आदि पर निरंतर बढ़ती निर्भरता के कारण हम नजदीक के स्थानों तक जाने के लिए  भी कार और बाइक का सहारा लेते हैं, जहां हम आसानी से पैदल जा सकते हैं. एक सर्वे के अनुसार करीब 20 % लोग उन स्थानों के लिए पैदल के बजाय किसी -न-किसी वाहन का उपयोग करते हैं.  सोचिए जरा, अगर हम पास की जगह तक भी पैदल जाने लगें तो हमारी सेहत  थोड़ी अच्छी जरुर हो जाएगी, साथ-ही-साथ हमारे थोड़े पैसे बच जायेंगे, देश का तेल आयात बिल थोड़ा घटेगा और वायु प्रदूषण में भी थोड़ी कमी आएगी. मतलब सबको फायदा.  

ऐसे तो कई लोग खुद को फिट रखने के लिए पैसे खर्च करके जिम आदि जाते हैं, लेकिन मेडिकल रिसर्च तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञ का स्पष्ट कहना है कि सभी उम्र के लोगों के लिए  वाकिंग से सहज, सरल और मुफ्त कोई दूसरा और विकल्प नहीं है.

टहलना वाकई बहुत आसान है,  क्योंकि हम अपनी सुविधानुसार टहल सकते हैं. इस कार्य में न तो पेट्रोल-डीजल-मोबिल का खर्च आता है, न तो पार्किंग की कोई जरुरत होती है और न ही इससे कोई प्रदूषण  फैलता है. हम  अपने शारीरिक अवस्था के हिसाब से टहलने की गति निर्धारित कर सकते हैं. और-तो-और हम अकेले, जोड़े में या ग्रुप में भी टहल सकते हैं. 

ऐसे टहलने के लिए सुबह का समय उपयुक्त माना गया है, लेकिन किसी कारण से अगर हम सुबह समय नहीं निकाल सकते हैं तो शाम को टहल सकते हैं. अपने सामान्य गति से थोड़ा तेज टहलना ज्यादा फायदेमंद माना गया है. टहलने में नियमितता का महत्व बहुत अहम है.
 

स्वाभाविक रूप से सुबह सूर्योदय के बाद टहलने के फायदे अपेक्षाकृत ज्यादा  हैं. आजकल तो डॉक्टर, खासकर ह्रदय रोग विशेषज्ञ, मधुमेह रोग विशेषज्ञ आदि अपने-अपने मरीजों को रोज सुबह कम से कम आधा घंटा टहलने की सलाह जरूर देते हैं.

रोजाना सुबह खुले स्थान और कमोबेश स्वच्छ वातावरण में तेज गति से आधे घंटे टहलने से न केवल शरीर के सारे अंग सक्रिय हो जाते हैं एवं पूरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है, बल्कि इससे हमारे मेटाबोलिज्म को बहुत लाभ मिलता है. इतना ही नहीं, सुबह टहलने से हमारे अंदर की नकारात्मकता कम होने लगती है और हम सकारात्मकता से भरने लगते हैं. कहने की जरुरत नहीं कि जो लोग स्वस्थ हैं उन्हें  नियमित रूप से  मॉर्निंग वॉक करने पर कई लाइलाज रोगों से छूटकारा मिल सकता है.

आइए जानते हैं सुबह टहलने के कुछ अहम फायदे :

1. हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज यानी मधुमेह से ग्रसित हो रहे हैं. इससे बचे रहने के लिए नियमित रुप से टहलना बहुत लाभकारी है. मधुमेह के रोगियों के लिए भी टहलना काफी फायदेमंद माना जाता है. दो-तीन किलोमीटर टहलने के बाद अगर इसके मरीज ब्लड शुगर की जांच करवाते हैं तो उसमें सुधार दिखता है. यही कारण है कि डॉक्टर उन्हें  नियमित  रूप से टहलने की राय देते हैं.

2. रेगुलर वाकिंग हार्ट को हेल्दी रखने का एक सहज-सरल उपाय है.  नियमित मॉर्निंग वाक से हाई ब्लड प्रेशर सहित ह्रदय रोग के अन्य मरीजों को बहुत लाभ मिलता है. इस क्रम में उनके मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है, दिल अच्छी तरीके से काम करता है,  शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उन्नत होता है  और गुड कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ता है.  बुजुर्गों के लिए तो  यह विशेष रूप से फायदेमंद है. 

3. हम सब जानते हैं कि मोटापा अपने-आप में एक बीमारी है. इसके कारण हम स्वतः अन्य कई रोगों के चपेट में आ जाते हैं. हर रोज तेज रफ्तार से 30-40 मिनट टहलने से मोटापा कम करने और अपने शारीरिक वजन को  नियंत्रण में रखने में बहुत लाभ मिलता है, क्यों कि  इस प्रक्रिया में अच्छी मात्रा ऊर्जा खर्च होती है और फैट बर्न होता है. फलतः धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है. बेशक इसके साथ-साथ खानपान में नियंत्रण भी जरुरी होता है.

4. टहलने से हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं. शरीर के जोड़ों को कार्यशील और मजबूत बनाए रखने में रेगुलर वाकिंग की अहम भूमिका है. इससे हमें  ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों में लाभ मिलेगा और हममें से कई लोग इन रोगों से बचे भी रह पायेंगे. हर उम्र के पुरुष और महिलाओं को इससे बहुत लाभ मिलता है. 

5. ऐसे तो कैंसर से बचाव के मामले में मर्द-औरत सबके लिए वाकिंग की स्पष्ट भूमिका है, लेकिन एकाधिक  मेडिकल रिसर्च के मुताबिक़ यदि महिलाएं कम-से-कम 30-40 मिनट रेगुलर वाक करें तो उनके लिए एक बड़े हद तक स्तन कैंसर से  बचे रहना संभव हो सकता है. टहलने से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है अर्थात हमारी प्रतिरोधक क्षमता उन्नत होती है, जिससे कैंसर सेल्स को बहुत नुकसान पहुँचता है. 

6. टहलने का हमारे मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा रिश्ता है. इससे हमारी मेमोरी अच्छी रहती है. प्राकृतिक परिवेश  और ऑक्सीजन की सुलभता के कारण ब्रेन की सक्रियता बढ़ती है. चिंतन-मनन की क्षमता में इजाफा होता है. तभी तो प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे कहते हैं, "वाकई सभी महान विचार वाकिंग के दौरान ही मन में आते हैं."

एक रोचक जानकारी और. पैदल चलने की प्रक्रिया के क्रम में शरीर में सिरोटोनिन नामक फील गुड केमिकल का स्राव होता है और चलना अच्छा लगने लगता है. इसी दौर में आगे हमारे शरीर में एंडोर्फिन नामक फील हैप्पी केमिकल का स्राव भी शुरू हो जाता है जिससे  चिंता और तनाव में कमी आती है तथा हमें आनंद की अनुभूति होती है. 

तो फिर क्यों न हम सब चलें टहलने के लिए प्रसिद्ध कवि गिरिजा कुमार माथुर की चर्चित कविता "हम होंगे कामयाब" की यह पंक्तियां गुनगुनाते हुए कि हम चलेंगे साथ-साथ, डाल हाथों में हाथ... ...मन में है विश्वास, हम होंगे कामयाब? 
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Saturday, May 29, 2021

अच्छी नींद से मजबूत बनेगा इम्यून सिस्टम

                                                                                                       - मिलन  सिन्हा

कोविड 19 वैश्विक महामारी के मौजूदा दौर में इम्युनिटी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा चर्चा के केंद्र  में आ गया है. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई तरीके बताए जा रहे हैं, जिससे कि कोविड19 वायरस से बचाव हो सके. रोचक बात है कि इम्युनिटी बूस्टर के नाम से इस समय बाजार में अनेक  सामान भी बिक रहे हैं, जिनमें अधिकतर  पहले भी उपलब्ध थे, बगैर इस कथित विशेषता के विज्ञापन के. बहरहाल, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र में काम करनेवाले विशेषज्ञों के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नागरिकों को सेहतमंद बने रहने और रोगों से बचे रहने  में मजबूत इम्यून सिस्टम की अहमियत अच्छी तरह मालूम है. 
यकीनन, इसमें जीवनशैली से जुड़ी कई बातों का योगदान होता है, जिसमें नींद की बड़ी भूमिका है, जिसे व्यवहारिक जीवन में हम अपेक्षित महत्व नहीं देते.


काबिले गौर है कि यहां नींद का मतलब अच्छी नींद से है, बिछावन पर मात्र लेटे रहने से नहीं है. और अच्छी नींद का सरल अर्थ है रात में अच्छी तरह सोना जिससे कि सुबह उठने पर आप अच्छा और तरोताजा महसूस करें.

 
बताते चलें कि लाइफ में सोना यानी गोल्ड नहीं, सोना यानी स्लीप (नींद) कहीं ज्यादा अहम है. 
नींद न केवल हमारी जिन्दगी में सुख का बेहतरीन समय होता है, बल्कि शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से यह हमारी आवश्यकता है, कोई विलासिता नहीं. नींद के दौरान शरीर रूपी इस जटिल, किन्तु अदभुत मशीन की रोजाना सफाई, रेपियरिंग और रिचार्जिंग  होती रहती है. तभी तो दिनभर की थकान,  रात की अच्छी नींद से काफूर हो जाती है और हमारी सुबह पुनः भरपूर ऊर्जा, उत्साह एवं उमंग से भरी हुई महसूस होती है. इसलिए नींद को अनेक विशेषज्ञों ने दवाइयों का महाराजा तक की उपाधि दी है.


हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आधुनिक जीवनशैली एवं तकनीक आधारित कार्यशैली के समेकित प्रभाव ने नींद को  दुष्प्रभावित किया है. देर रात तक मोबाइल-लैपटॉप आदि पर व्यस्त रहना और सुबह देर तक सोना या चार-पांच घंटे की नींद के बाद ही किसी कारणवश जल्दी उठने की बाध्यता, आज के बहुत सारे लोगों, खासकर कामकाजी  युवाओं एवं अध्ययनरत विद्यार्थियों की आम दिनचर्या हो गई है. 
इस तरह की जीवनशैली व कार्यशैली के कारण बड़ी संख्या में लोग अनेक प्रकार के स्लीप डिसऑर्डर  से परेशान रहते हैं. ऐसे लोग कई बार 7-8 घंटे तक सोने के बाद भी सुबह आलस्य, तनाव व थकान महसूस करते हैं. अच्छी तरह और मोटे तौर पर नियमित रूप से पर्याप्त नींद के अभाव में नींद का बकाया या सोने का कर्ज यानी स्लीप डेट की परेशानी होती है. इसके परिणाम स्वरुप आदमी को बराबर नींद  की तलब होती है और वह अपने काम में फोकस नहीं कर पाता है. इसके हेल्थ संबंधी अनेक दुष्प्रभाव हैं, जिसमें हमारे इम्यून सिस्टम पर होने वाला दुष्प्रभाव भी शामिल है. 


अनेक हेल्थ एवं मेडिकल रिसर्च के साथ-साथ समय-समय पर किए जानेवाले सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से यह बताते रहे हैं कि अपर्याप्त और अनियमित नींद से जुड़ी समस्याओं से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हो रहे हैं. सोना चाहें और सो नहीं पाएं, यह वाकई विकट समस्या है. इससे निजात पाने के लिए  कुछ  लोग तो नियमित रूप से शराब या नींद की गोली का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें फौरी तौर पर लाभ मिलता प्रतीत होता है, लेकिन यह आदत कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा करता है. इस चक्रव्यूह में फंसकर वे लोग अपना और अधिक नुकसान कर लेते हैं. ऐसा इसलिए कि अनिद्रा की समस्या से ग्रसित लोगों की इम्युनिटी तो ऐसे ही कमजोर हो जाती है और उपर से शराब और नींद की गोली का सेवन. 
जाहिर तौर पर अनिद्रा से ग्रसित ऐसे लोगों के  विभिन्न शारीरिक व मानसिक प्रोब्लम्स के चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, ब्रेन स्ट्रोक, अस्थमा, डिप्रेशन, मेमोरी लॉस, स्ट्रेस, मोटापा आदि  इनमें शामिल हैं.  

   
अब सवाल है कि आज के चुनौतीपूर्ण दौर में अनिद्रा की समस्या से बचे रहने के लिए कौन से सरल उपाय हैं, जिससे हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत बना रहे? आइए जानते हैं:


- दिनभर के रूटीन में रात की नींद के लिए कम-से-कम सात घंटा नियत कर लें.

- सोच सकारात्मक, खानपान संतुलित और शारीरिक सक्रियता जरुरी है. 

- वाकिंग, व्यायाम, योगासन, प्राणायाम और ध्यान को रूटीन का हिस्सा बनाएं.

- शरीर को बराबर हाइड्रेटेड एंड ऑक्सीजिनेटेड यानी जलयुक्त व ऑक्सीजनयुक्त रखें.  

- रात का खाना हल्का और सुपाच्य हो. 

- डिनर टाइम सोने से कम-से-कम एक घंटा पहले हो.

- रात में 10 से 11 बजे के बीच सोने की और सुबह 6 बजे से पहले उठने की कोशिश करें.  

- सोने से घंटे भर पहले मोबाइल-लैपटॉप-टीवी आदि से नाता न रखें. मोबाइल को बेड से दूर रखें और साइलेंट मोड में भी. 

- सोने से पहले कोई मोटिवेशनल या अध्यात्मिक किताब पढ़ें या लाइट म्यूजिक सुनें.

- दिन में ज्यादा देर तक न सोएं. 

- सोने से पहले चाय, कॉफ़ी, शराब, सिगरेट, गुटखा आदि का सेवन न करें. 

- बिछावन साफ़-सुथरा और कमरा हवादार हो. सोते वक्त लाइट बंद कर दें.

- सोने से पहले दूध में थोड़ा हल्दी या शहद या दालचीनी मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है. इसके और कई लाभ हैं. 

- सोने के लिए बिछावन में जाने से पूर्व पैर धोकर पोंछ लें. फिर तलवों में सरसों के तेल से मालिश करें. नींद अच्छी आएगी.   (लेखक हेल्थ मोटिवेटर, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट हैं)

(hellomilansinha@gmail.com)    


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#  "दैनिक जागरण" के सभी संस्करणों में प्रकाशित

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Wednesday, April 28, 2021

कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में जरूरी हैं ये कदम

                                                                                                  - मिलन  सिन्हा

कोविड -19 का संक्रमण एक बार फिर गंभीर रूप ले रहा है. यह अच्छी बात है कि पहली मई से 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन की सुविधा उपलब्ध होने वाली है. 
प्रधानमन्त्री ने एकाधिक बार कहा है कि दवाई भी और कड़ाई भी. कहने का तात्पर्य यह कि अधिक-से-अधिक लोग टीका लगवाएं और कोविड -19 से संबंधित दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करें. आप अपने सेहत के साथ ही दूसरों की सेहत का भी ख्याल रखें. बेशक, टीकाकरण अभियान रफ़्तार में है, लेकिन यह मत भूलें किकोरोना का संक्रमण भी चरम पर है. अभी तक के मामलों पर नजर डालें तो सुरक्षित वही लोग हैं, जो सुरक्षा उपायों को अपनाने के साथ सेहत के प्रति गंभीर हैं. तो  आइए, संक्रमण के इस नए दौर में कुछ जरुरी बातों पर अमल की चर्चा करते हैं:


1. लापरवाही कतई न बरतें. हमेशा सावधान रहें, क्यों कि हर हालत में सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.


2. सरकारी दिशानिर्देशों का पूरा पालन करें जैसे मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग, हैण्ड वाशिंग आदि. भीड़वाले स्थान में या तो न जाएं या वहां अतिरिक्त सावधानी बरतें. इस मामले में परिजनों और मित्रों को भी प्रेरित करने का प्रयास करें. 


3. अगर वैक्सीन लेने की अहर्ता है यानी अबतक के गाइडलाइन्स के अनुसार 18 साल से ऊपर के हैं, तो यथाशीघ्र टीका लगवाएं. हाँ, वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बाद भी मास्क आदि की जरुरी सावधानी बरतना न छोड़ें.  


4. टीका लगे या न लगे, अपने बचाव और सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय जरुर करें:


i) हर महीने तीन दिन सुबह खाली पेट होमियोपैथी की दवा आर्सनिक एल्बम -30 की तीन बूंदों  या चार-पांच गोलियों का सेवन करें. 


ii) हो सके तो दिनभर गुनगुने पानी का सेवन करें. कम-से-कम सुबह उठने के बाद और रात में सोने से पहले तो जरुर करें. बहुत लाभ मिलेगा.


iii) फिलहाल घर पर ही रह कर व्यायाम और योगाभ्यास करें. प्राणायाम यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज में कम-से-कम अनुलोम-विलोम, कपालभाती और भ्रामरी कर लें. 


iv) प्राकृतिक रूप से उपलब्ध चीजों - फल, सब्जी, अनाज, दाल आदि का यथोचित मात्रा  में सेवन करें जिससे कि प्रोटीन आदि के अलावे खासकर विटामिन सी, बी और डी मिल सके और साथ ही जिंक, आयरन, मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स भी मिल जाएं. प्राकृतिक रूप से पर्याप्त मात्रा  न मिले तो सप्लीमेंट के रूप में सेवन करें. नींबू, आंवला और शहद को भी डाइट में शामिल करें. इससे आपके इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाए रखने में मदद मिलेगी. 


v) दिनभर में कम से कम दो बार काढ़ा पीएं या ग्रीन टी का सेवन करें - एक बड़े कप में खूब आराम से. अन्य आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक उपचार का सहारा भी ले सकते हैं. 


vi) फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक, अल्कोहल आदि को भूल जाएं. यथा संभव ताजा घरेलू खाना खाएं. 


vii) नाश्ता जरुर करें वह भी बहुत पौष्टिक. रात का खाना हल्का हो और हो सके तो नौ बजे से पहले कर लें. संक्रमण के इस दौर में कुछ दिनों तक सुबह नाश्ते से पहले और रात में सोने से पहले एक चम्मच च्वयनप्राश का सेवन बहुत लाभकारी होगा. 


viii) जब भी मौका मिले संगीत का आनंद लें. परिजनों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं और रात में 7-8 घंटे अच्छी नींद लें.  


ix) संक्रमण का थोड़ा भी अंदेशा हो या लक्षण दिखाई दे तो कोरोलिन एवं श्वासरी की गोली का सेवन शुरू कर सकते हैं. साथ-ही-साथ कोरोना संक्रमण का टेस्ट भी करवा लें.


x) संक्रमित हो जाने पर छुपाएं नहीं और एकदम नहीं घबराएं. सोच सकारात्मक और मनोबल ऊँचा रखें. अपवाहों पर ध्यान न दें. सावधानी के बावजूद बेशक कम संख्या में ही सही, कोरोना संक्रमण किसी को भी हो सकता है और इसका इलाज उपलब्ध है. बस इलाज की प्रक्रिया का अच्छी तरह पालन करें. सब बढ़िया होगा.  (
लेखक वेलनेस  कंसलटेंट एंड मोटिवेशनल स्पीकर हैं) 

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