Friday, July 24, 2020

मोटिवेशन: पुस्तक से बनाए रखें दोस्ती

                                             - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट ... ...

बचपन से ही पुस्तकों से हमारा रिश्ता जुड़ जाता है. वर्णमाला की रंग-बिरंगी किताब से प्रारंभ हुई यह यात्रा धीरे-धीरे विस्तृत होती जाती है. हर काल में ज्ञान के प्यासे विद्यार्थियों के लिए यह यात्रा बहुत रोचक, सुखद और लाभकारी रही है. सब जानते हैं कि ज्ञान का सागर जितना विस्तृत है, उतना ही गहरा भी और पुस्तकें ज्ञान और कालान्तर में सफलता और सम्मान हासिल करने में  अहम भूमिका निभाती है. बहरहाल इन्टरनेट, फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि के मौजूदा दौर में कोर्स की किताबों  के अलावे साहित्य, इतिहास, दर्शन, अध्यात्म आदि की किताबों को पढ़ने का चलन कुछ कम हो रहा है, अलबत्ता बहुत सारे विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन  कुछ-कुछ पढ़ते रहते हैं. लेकिन क्या इतना काफी है और क्या सभी  विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में किताबों की अहमियत से पूर्णतः परिचित हैं ? सच पूछें तो  कुछ विद्यार्थियों को छोड़कर जो पुस्तकों को सिर्फ डिग्री पाने का साधन मानते हैं, बाकी सभी विद्यार्थी कमोबेश यह मानते  हैं कि आज के चुनौती भरे दौर में  पुस्तकों से दोस्ती बनाए रखना बीते सालों की तुलना में ज्यादा जरुरी है, बेशक  किताबों का स्वरुप और उसको पढ़ने का तरीका कुछ भिन्न ही क्यों न हो. 

 
दरअसल, मानव जीवन में पुस्तकों का बड़ा महत्व है. मानव सभ्यता के विकास का दस्तावेज हैं पुस्तकें, प्राचीन काल से अबतक के समय में असंख्य लोगों की रचनात्मकता, कल्पनाशीलता, वैज्ञानिकता, संघर्षशीलता आदि को बखूबी रेखांकित करती है पुस्तकें. साथ ही विनाश और आपदा के पलों का विश्लेषण भी यहां मौजूद है. जानेमाने रंगकर्मी सफदर हाशमी अपनी एक कविता में कहते हैं, "किताबें करती हैं बातें/बीते ज़मानों की/दुनिया की, इंसानों की/आज  की, कल की/एक-एक पल की/ख़ुशियों की, ग़मों की/फूलों की, बमों की/जीत की, हार की/प्यार की, मार की/क्या तुम नहीं सुनोगे/इन किताबों की बातें?/किताबें कुछ कहना चाहती हैं/तुम्हारे पास रहना चाहती हैं... ..." ज्ञातव्य है कि किताबों के माध्यम से संसार भर के देशों के साहित्य, उनका खानपान, उनकी जीवनशैली, वहां की जलवायु, उनकी शिक्षा और शासन पद्धति आदि न जाने कितनी बातें हम घर बैठे जान पाते हैं. इससे हम एक दूसरे के कॉमन लिंक्स और प्राथमिकताओं के विषय में जानकार परस्पर करीब आते हैं. एक प्रकार से पुस्तक हमारे लिए फ्रेंड, फिलोसफर और गाइड है. 
अमेरिकी शिक्षाविद् चा‌र्ल्स विलियम एलियोट तो कहते हैं, "किताबें  दोस्तों में सबसे शांत और स्थिर हैं; वे सलाहकारों में सबसे सुलभ और बुद्धिमान हैं, और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान." तो आइए आज जानते हैं कि पुस्तकों से  दोस्ती को कैसे बनाए रखा जाय और इस दोस्ती के कौन-कौन से बड़े लाभ हैं.  
    
दिनभर के टाइम टेबल की समीक्षा करते हुए कोर्स के किताबों के अलावा अन्य किताबों के लिए रोजाना कुछ समय निर्धारित कर दें. शुरू में अपने रूचि के विषयों से संबंधित केवल दो किताबों को साथ रख लें. दिन में साहित्य या मैनेजमेंट या जनरल स्टडीज  की एक अच्छी किताब लें. रात में सोने से पहले कोई मोटिवेशनल या अध्यात्मिक किताब पढ़ें. इससे आपको प्रेरणा, प्रोत्साहन और मन की शांति मिलेगी. दोनों तरह की किताबों से ज्ञानवर्धन तो होगा ही. हां, आपको  कोर्स की किताबों को पढ़ने के बाद जब भी ब्रेक या अवकाश मिले, तब भी इन किताबों को पढ़  सकते हैं. इस सिलसिले को अगले 60 दिनों तक जारी रखने  से यह आपकी आदत में शुमार हो जाएगा और फिर तो आप किताबों की मैजिकल संसार के आजीवन सदस्य बन जायेंगे. 


अब कुछ बातें इसके असीमित फायदों की. जब और जहां इच्छा हो पुस्तक पढ़ना आसान है. खासकर तन्हाई और लॉक डाउन जैसी स्थिति की सबसे अच्छी हमसफर होती हैं किताबें. अपनी रूचि की किताबों को पढ़ने से अच्छा फील होता है. इससे आगे पढ़ने की इच्छा बलवती होती है. इस प्रक्रिया में एकाग्रता से अध्ययन करने का अभ्यास हो जाता है. यकीनन अच्छी किताबें विद्यार्थियों को अच्छी जानकारी और ज्ञान देने के अलावे उन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मोटीवेट भी करती हैं. अच्छा वक्ता बनने में इससे बहुत मदद मिलती है. दिमाग अच्छे विचारों और पॉजिटिव बातों  में व्यस्त रहता है. नकारात्मकता में कमी से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है. परिणाम स्वरुप स्ट्रेस की समस्या नहीं होती और अच्छे कार्यों  में समय बिताना अच्छा लगता है. ऐसे में मेमोरी पॉवर भी उन्नत होता है. इन सब पॉजिटिव बातों का समग्र प्रभाव रात में अच्छी नींद के रूप में सामने आता है. किताबों से रिश्ते के और भी कई छोटे-बड़े फायदे हैं. तभी तो नोबेल पुरस्कार विजेता प्रसिद्ध 
अमेरिकी उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे गर्व से कहते हैं, "एक किताब जितना वफादार कोई दोस्त नहीं है."

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# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता"  में प्रकाशित
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Friday, June 26, 2020

मोटिवेशन: जिंदगी जीने का नाम

                            - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

भगवान बुद्ध कहते हैं, "ख़ुशी इसपर निर्भर नहीं करती कि आपके पास क्या है  या आप क्या हैं. ये पूरी तरह से इस पर निर्भर करती है कि आप क्या सोचते हैं." सच कहें तो यह विचार हमें दुःख की  मानसिकता से बाहर निकालने में भी बहुत मदद करता है. जीवन गतिशील है और हर विद्यार्थी को अपने सपनों को साकार करने और अपने छोटे-बड़े लक्ष्यों तक पहुंचने की स्वाभाविक इच्छा होती है. स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत बड़ी है. विद्यार्थियों में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विविधता भी बहुत है. लेकिन हर साल या हर सेमेस्टर के रिजल्ट के दिन रिजल्ट शीट में वही विद्यार्थी टॉप टेन या ट्वेंटी में जगह हासिल कर पाते हैं, जो हमेशा सोच के स्तर पर पॉजिटिव और यथार्थवादी बने रहते हैं. महात्मा गांधी का स्पष्ट कहना है, "व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है." सचमुच, इन महापुरुषों के विचारों पर गौर करें तो विद्यार्थियों के लिए जीवन पथ पर दृढ़ता और ख़ुशी-ख़ुशी बढ़ते जाना आसान हो जाएगा. भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का जीवन इसका ज्वलंत प्रमाण है.


कभी ख़ुशी, कभी गम के मिलेजुले दौर से हर विद्यार्थी गुजरता है. यह सही है कि सभी छात्र-छात्राएं ऐसा जीवन जीना चाहते हैं जहां ज्यादा-से-ज्यादा ख़ुशी हो और कम-से-कम गम. इसके लिए सब अपने-अपने तरीके से जीवन जीने का प्रयास करते हैं. ज्ञानीजन बराबर कहते रहे हैं कि पूरी निष्ठा और विश्वास से यथासंभव प्रयास करते रहें. कभी भी किसी काम को बीच में न छोड़ें. फल क्या होगा इसकी चिंता कार्य करते वक्त कदापि ना करें. एक किसान के बारे में सोचें. अगली फसल  के लिए जमीन को जोतते या तैयार करते वक्त या जमीन में बीज डालते या पौधा लगाते समय वह फल के विषय में ज्यादा नहीं सोचता है. वह बस इस आत्मविश्वास से काम करता है कि जो कुछ हमारे अख्तियार में है, उसे सर्वश्रेष्ट तरीके से करते हैं. उसे अच्छी तरह मालूम होता है कि मौसम सहित कतिपय बाहरी फैक्टर्स अपेक्षित फल पाने में अवरोध बन सकते हैं. ऐसा कई बार होता भी है. लेकिन इस कारण किसान अपना 100 % देने से बचने की कोशिश नहीं करता. देखा गया है कि अधिकांश समय उसे अपनी कोशिशों के अनुरूप ही फल मिलता है. अनेकानेक विद्यार्थी किसान की मानसिकता से ही अध्ययन में जुटे रहते हैं. खूब मेहनत करते हैं. नकारात्मकता से भरसक दूर रहते हैं और इसी कारण खुश भी रहते हैं. कामयाबी तो मिलती ही है.
                                   
एक सच्ची घटना बताता हूँ. एक दिन दो मित्र अपने-अपने घर से एक ही ऑटो में  रेलवे स्टेशन की ओर चले. उन्हें एक प्रतियोगिता परीक्षा के लिए प्रदेश की राजधानी जाना था. घर से स्टेशन के बीच जाम के कारण वे लोग कुछ देर से स्टेशन पहुंचे. टिकट लेकर जब तक वे प्लेटफार्म पर  पहुंचते उनकी ट्रेन निकल चुकी थी. दोनों को बहुत अफ़सोस हुआ. लेकिन उनमें से एक ने तुरत उस गम को पीछे छोड़कर यह सोचना शुरू किया कि जो होना था वह तो हो गया, अब विकल्प क्या है? वह मोबाइल के जरिए यह पता करने में जुट गया कि ट्रेन या बस या टैक्सी से समय से राजधानी पहुंचना संभव है या नहीं. दूसरी ओर उसका साथी थोड़ी देर तो माथा पकड़ कर बैठा रहा, फिर ऑटोवाले और सड़क पर जाम के लिए पुलिसवाले और न जाने किसको-किसको कोसने लगा. इसके बाद  ट्रेन मिस करने के विषय में विस्तार से किसी दोस्त को बताता रहा. उसने तो गम की दरिया में न जाने इस बीच कितने गोते लगाए. और फिर जब साथ चल रहे लड़के को घर लौटने को कहने लगा तब उसे बताया गया कि चिंता की कोई खास बात नहीं है, क्यों कि एक ट्रेन जो तीन घंटे लेट चल रही है वह अगले बीस मिनट में आनेवाली है जिससे वे लोग  गंतव्य तक कमोबेश ठीक समय से पहुंच जायेंगे. इस वाकया से यह साफ़ है कि एक ही घटना को दो अलग-अलग मानसिकतावाले विद्यार्थी ने अलग-अलग रूप में लिया और तदनुसार रियेक्ट किया.
  
विचारणीय बात है कि  परेशानी या गम का वक्त सभी छात्र-छात्राओं को  हमेशा एक मौका देता है खुद को संयत और शांत रखकर उस समय उपलब्ध संभावित विकल्पों पर विचार करने का और उनमें से सबसे अच्छे विकल्प का उपयोग करके मंजिल तक पहुंचने का. परेशानी के समय परेशान होने, उत्तेजित होने, खुद को और परिस्थिति को कोसने का कोई लाभ नहीं होता. नुकसान तो अवश्य होता है. कहने का मतलब यह कि विद्यार्थीगण ख़ुशी या गम को जीवन का महज एक पड़ाव मानकर पॉजिटिव सोच के साथ बस अपना मूल काम करते रहें तथा जीवन को एन्जॉय करते चलें. जो होगा, सब बढ़िया होगा.  

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Tuesday, June 2, 2020

वेलनेस पॉइंट: लॉक डाउन में छूट से बचाव की बढ़ी चुनौती

                               - मिलन  सिन्हा, वेलनेस कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
कई आर्थिक-सामाजिक कारणों से कोविड 19 लॉक डाउन में ढील देने का सिलसिला शुरू हो चुका है, लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बरकरार है. लाखों की संख्या में कामगारों और मजदूरों का सामान्य-असामान्य तरीके से घर लौटना जारी है. कार, बस, ट्रेन और फ्लाइट का परिचालन प्रारंभ हो चुका है. अगले कुछ दिनों में मार्केट और अन्य सार्वजनिक स्थानों में लोगों की भीड़ बढ़ेगी जब धीरे-धीरे आर्थिक और अन्य गतिविधियां सामान्य होने लगेंगी.  दूसरी ओर कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, बेशक कोरोना पॉजिटिव लोगों के स्वस्थ होकर घर लौटने का प्रतिशत भी बढ़ रहा है. चिकित्सा एवं हेल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिन बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे. बड़ा सवाल है कि करोड़ों लोग जो लॉक डाउन के कारण चाहे-अनचाहे घर में सुरक्षित रहने के आदी हो चुके हैं, जब उनमें से एक बड़ी संख्या को घर से बाहर जाना पड़ेगा तो फिर उन्हें कोरोना के संक्रमण से खुद बचे रहने और अपने परिवार के लोगों को बचाए रखने के लिए क्या करना चाहिए जिससे कि सभी रोगमुक्त और हेल्दी रह सकें? 

यकीनन यह चुनौती लॉक डाउन वाली चुनौती से भिन्न है और एक प्रकार से बड़ी भी. अब कामकाजी लोगों को अपने-अपने काम के सिलसिले में हफ्ते में 5-6 दिन रोजाना 8-10 घंटे घर से बाहर रहना पड़ेगा. किसी-न-किसी कारण से घर में भी बाहरी लोगों का आना-जाना कमोबेश  शुरू हो जाएगा. घर की महिलाओं और बच्चों को भी मार्केट, कोचिंग, ट्यूशन आदि के लिए निकलना पड़ेगा. इन सारी परिस्थिति में लोगों को कुछ अहम बातों का अनुपालन स्वयं काफी जिम्मेदारी और सख्ती से करना पड़ेगा. 

स्वस्थ तन सुन्दर मन:

बेहतर होगा कि चार कहावत को हमेशा याद रखें और तदनुरूप कार्य करें. पहला यह कि "जान है तो जहान है," दूसरा "हेल्थ इज वेल्थ अर्थात स्वास्थ्य ही संपत्ति  है,"  तीसरा "सावधानी गई और दुर्घटना घटी" और चौथा यह कि "रोकथाम इलाज से बेहतर" है. इसके बाद भी अगर किसी दुर्घटनावश संक्रमित और बीमार हो गए तो तनिक भी घबराए बगैर तुरत यथोचित मेडिकल ट्रीटमेंट करवाएं. अनावश्यक रूप से घबराना आपके साथ-साथ आपके परिवार के लिए अन्य कई हेल्थ प्रॉब्लम का कारण बन सकता है. ऐसे भी हमारे देश में कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव होनेवालों की संख्या उत्साहवर्धक है. आनेवाले महीनों में वैक्सीन तथा सही मेडिसिन की खोज और उपलब्धता की पूरी उम्मीद भी है. 

हां, सबको समय-समय पर यह बताना जरुरी है कि अपवादों को छोड़कर लॉक डाउन का ऑफिसियल दौर ख़त्म  हो रहा है और उसी के साथ स्व-अनुशासन वाला लॉक-डाउन अर्थात  "अपना लॉक डाउन" शुरू हो गया है. इस दौर में ज्यादा सावधान, सचेत, शांत और अंदर से पूर्णतः स्वस्थ और स्ट्रांग बने रहना जरुरी है. 
    
तो आइए संकट के इस पड़ाव पर मुख्यतः सेहत की दृष्टि से इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं. 

पहले घर से शुरू करते हैं : रहें सदा सेहतमंद 

- लॉक डाउन से मिले सबक से अपने और अपने परिवार के हेल्थ को अपने एजेंडा में सदा पहले नंबर पर रखें. घर के लिए कुछ बुनियादी बातों को तय कर एक रूटीन बना लें जिसे मोटे तौर पर आगे फॉलो करना है. इसे बैलेंस्ड लाइफस्टाइल के सूत्र कह सकते हैं. परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसके लिए प्रेरित करें, क्यों कि एक की गलती अन्य सबके लिए आफत बन सकती है.  
- लॉक डाउन के पिछले करीब साठ दिनों की अवधि में आपने जो भी अच्छी आदतें दिनचर्या में शामिल की हैं, उन्हें दृढ़ता से आगे जारी रखें. इसके हेल्थ बेनिफिट आगे भी आपको ही मिलेंगे.  
- इस समय रात में 7-8 घंटे की नींद का आनन्द लेने का सुनहरा मौका है. नींद एक अदभुत मेडिसिन है. इससे स्वास्थ्य को बहुत लाभ होता है. 
- सुबह नींद से उठने के बाद बैठ कर आराम से गुनगुना पानी पीएं. अच्छी सेहत के लिए हाइड्रेटेड और ऑक्सीजिनेटेड रहना लाजिमी है. 
- नित्य कर्मों से निवृत होकर कम-से-कम 20-30 मिनट फ्री हैण्ड एक्सरसाइज या पवनमुक्तासन समूह के कुछ आसन कर लें. सारे अंग सक्रिय होंगे. इससे आप हल्का और अच्छा फील करेंगे. 
- कोविड 19 संकट के मौजूदा वक्त में शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए प्राणायाम और मेडीटेशन का नियमित अभ्यास बहुत लाभकारी है. इससे हमारा रेस्पिरेटरी और नर्वस सिस्टम सहित सभी तंत्र बेहतर काम करते हैं. अभी सुबह-शाम नाश्ते से थोड़ा पहले 20-30 मिनट इनका अभ्यास करें. 
- तुलसी, काली मिर्च, लोंग, दालचीनी और अदरक से बना एक कप काढ़ा  सुबह - शाम चाय  की तरह पीएं. आंवला, नींबू सहित विटामिन सी बहुल चीजों के सेवन के साथ-साथ अन्य आसान तरीकों से अपने इम्यून सिस्टम को हमेशा स्ट्रांग बनाए रखने का प्रयास जारी रखें. सम्प्रति इसकी जरुरत अपेक्षाकृत अधिक है. 
- घर का बना सात्विक एवं पौष्टिक खाना ही खाएं, बेशक मन फ़ास्ट फ़ूड या नॉन वेजीटेरियन या चटपटा खाने के लिए मचलता हो. "हम बीमार तो घर परेशान" वाली बात को बराबर ध्यान में रखें. खाने में मौसमी फल और सब्जी को जरुर शामिल करें. रोज रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर पीएं. 
- संभव हो तो जरुरी घरेलू कार्यों को आपसी सहयोग से कर लें, जिससे कि अगले कुछ हफ़्तों तक घरेलू काम करनेवालों (डोमेस्टिक हेल्प) को घर बुलाने की जरुरत न हो.     
- लॉक डाउन के दौरान अस्थमा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ह्रदय रोग, किडनी, लीवर आदि के जो मरीज, खासकर सीनियर सिटीजन अपने डॉक्टर से रेगुलर चेकअप से वंचित रह गए थे और किसी तरह पहले बताई गई दवाइयों से काम चला रहे थे, अब वे एक बार डॉक्टर से बात करके जांच करवा लें. इससे शारीरिक लाभ के साथ-साथ मानसिक संतोष व शांति भी मिलेगी.

अब बाहर की बात: घर से बाहर जाने पर बरतें ये सावधानियां 

- स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय जारी निर्देशों का पूर्णतः पालन करें. मसलन जब भी घर से बाहर निकलें मास्क जरुर पहनें, दो गज दूरी बनाकर रखें, भीड़वाले जगह में जाने से बचें, हाथ मिलाने या गले मिलने से तौबा करें. संभव हो तो दस्ताने और चश्मा का उपयोग भी करें. 
- टहलने का मन करे तो अभी कुछ और दिनों तक छत पर या अपने कंपाउंड में ही टहल लें. विकल्प के रूप में कहीं भी स्पॉट जम्पिंग या रनिंग कर सकते हैं. 
- बिलकुल जरुरी हो तभी मार्केट जाएं और वह भी उस समय जब भीड़ की संभावना कम जान पड़े.  एक छाता लेकर बाजार जाएं. इससे धूप व बारिश से बचाव होगा और एक-दूसरे से दूरी भी बनी रहेगी. पेमेंट डिजिटल तरीके से करने का प्रयास करें. मार्केट का काम जल्द पूरा कर घर लौटें. दोस्त आदि मिल भी जाएं तो वहां रुककर लंबी बात करने के बजाय घर लौट कर फोन पर पूरी बात कर लें.  
- घर में आकर पहले खुद को अच्छी तरह स्वच्छ एवं सेनिटाइज करें. जूते-चप्पल बाहर निकाल दें. ये बातें लॉक डाउन के वक्त बारबार बताई गई हैं. बस उसे याद रखकर काम करना है. 
- संभव हो तो कम भीड़वाले रास्ते से अपने वर्क प्लेस पहुंचे, बेशक दूरी थोड़ी ज्यादा तय करनी पड़े. बस, लोकल ट्रेन, कैब आदि में सरकारी गाइड लाइन फॉलो करें और अतिरिक्त एहतियात बरतें. ऑफिस पहुंचकर साबुन से हाथ व चेहरा धो लें. साथ में एक हैण्ड सेनिटाइजर तो रखें ही. 
- वर्क प्लेस में ऐसे आरामदेह और वाशेवल कपड़े पहनकर जाएं जिससे शरीर कमोबेश ढका रहे. मसलन पूरे बांह की कमीज और फुल पेंट. इसे घर लौटकर तुरत वाश कर लें. मतलब एक ड्रेस को बिना साबुन या डिटर्जेंट से धोए दुबारा न पहनें.    
- अपने कार्य स्थल पर खाना और पानी फिलहाल घर से ही ले जाएं. जो ले गए हैं उसे ही खाएं. दूसरों को न अपना खाना शेयर करें और न ही उनके प्लेट या टिफ़िन से कुछ लें. फिलहाल भावनात्मक भाईचारा निभाएं. इस दौरान बाहर की चीजें बिलकुल न खाएं. हां, गुनगुना पानी  पीने की आदत डालें. इससे स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ होंगे. ठंडा पानी या सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से अभी जितना बच सकें, उतना अच्छा. 
- ऑफिस या कार्य स्थल में अपना सब काम यथासंभव ऑफिस टाइम के भीतर ख़त्म करने का प्रयास करें. और फिर वहां से सीधे घर के लिए निकलें. अगर आप बॉस भी हैं तो यह भी सुनिश्चित करें कि ऑफिस टाइम के बाद ऑफिस बंद हो जाए, जिससे सब लोग समय से घर पहुँच सकें. इससे सारे स्टाफ का स्ट्रेस कम होगा और वे अपना व अपने परिवार का बेहतर ख्याल रख पायेंगे.
- ऑफिस के नाम पर अनावश्यक रूप से बाहर समय बिताना और मद्दपान, धुम्रपान आदि के चंगुल में फिर से फंसना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. घरवालों को भी इस पर नजर रखनी चाहिए.    
- घर लौट कर हेलमेट, चाभी, लैपटॉप, फाइल आदि को सेनिटाइज कर बच्चों की पहुँच से दूर एक सुरक्षित स्थान पर रखें. बहुत जरुरत हो तभी घर में उनका इस्तेमाल करें वह भी दुबारा सेनिटाइज करके. हेल्दी लाइफ हेतु पर्सनल हाइजीन की अहमियत को तो आप अच्छी तरह जानते ही हैं.
- फ्रेश होकर टीवी में नेगेटिव न्यूज़ में व्यस्त हो जाने के बजाय परिवार के लोगों के साथ बातें करें, लूडो, कैरम आदि खेल खेलें या कॉमेडी सीरियल-फिल्म देखें या एनिमल प्लानेट चैनल देखें या कोई साहित्यिक-अध्यात्मिक-मोटिवेशनल किताब पढ़ें या संगीत का आनंद लें. कहने की  जरुरत नहीं कि एकाधिक मामलों में संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है.
- स्थिति सामान्य होने तक पार्टी या सोशल गेदरिंग से दूर रहें, पर इमोशनल क्लोजनेस बनाए रखें. जिसकी जितनी मदद कर सकते हैं, जरुर करें. इस क्रम में खुद को भी महफूज रखें.  
- सबसे अहम बात यह कि अपने सोच को सदा पॉजिटिव रखें. इसका हमारी सेहत पर गहरा असर होता है. देखा गया है कि कोविड 19 से पीड़ित हों या अन्य किसी रोग से, पॉजिटिव सोचवालों की रिकवरी अधिक फ़ास्ट होती है.   (hellomilansinha@gmail.com)

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# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 27 मई, 2020 को प्रकाशित
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Friday, May 22, 2020

वेलनेस पॉइंट: लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा में नशामुक्ति का मौका

                                 - मिलन  सिन्हा,  वेलनेस कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
सम्प्रति भारत सहित पूरा विश्व गंभीर दौर से गुजर रहा है. आर्थिक और  सामाजिक सहित अनेक क्षेत्रों में कई परिवर्तनों से हम सभी रूबरू हैं. आनेवाले दिनों में होनेवाले अनेक छोटे-बड़े बदलावों के स्पष्ट संकेत भी मिलने लगे हैं. अपने देश में लॉक डाउन के मौजूदा समय में कई तरह की  समस्या और संकट के बीच हमें अनेक नए व सुखद अनुभवों से गुजरने का मौका भी मिल रहा है, जो कदाचित मुमकिन नहीं था. पर्यावरण की बात करें तो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में अकल्पनीय कमी आई है. इससे पर्यावरण की सेहत अदभुत रूप से अच्छी हुई है. इस समय  तीन सौ किलोमीटर दूर से भी हिमालय पर्वत श्रृंखला का साफ़ दिखाई देना या गंगा, यमुना और अन्य नदियों में जल की गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार होना या पक्षियों-तितलियों की बहुत बड़ी संख्या में उन्मुक्त विचरण करना इसके गवाह हैं. इन सबका समेकित सकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गहरे रूप से पड़ना स्वाभाविक है. बेशक मज़बूरीवश लॉक डाउन के इस दौर में  आम लोगों, खासकर नियमित नशा करनेवाले लोगों के जीवनशैली में आए अच्छे बदलाव पर  गौर करना भी जरुरी है.
    
बताते चलें कि देश में नशा करनेवालों की संख्या में पिछले कई वर्षों से निरंतर वृद्धि होती रही है. नशीली चीजों की किस्में और प्रभावक्षेत्र दोनों में विस्तार हो  रहा है. अच्छी संख्या में महानगर से लेकर ग्रामीण  इलाके में रहनेवाले गरीब-अमीर लोग नशे की चपेट में आ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि आम तौर पर सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू, भांग, गांजा, ताड़ी, शराब, चरस, अफीम, कोकीन और  हेरोइन जैसे नशीली चीजों के लत में पड़े लाखों लोगों में से नियमित रूप से बड़ी संख्या में लोग फेफड़ा, ह्रदय, लीवर, किडनी, ब्रेन, त्वचा के रोगों के शिकार होते हैं. कैंसर पीड़ित लोगों में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. हां, घर में पौष्टिक आहार उपलब्ध होने पर भी बाहर का जंक, बासी और अस्वच्छ खाना खाने की आदत भी एक नशे के समान ही है. इस लत के कारण अपने बॉडी सिस्टम को प्रदूषित करते रहने और फिर बीमार पड़नेवाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
  
दरअसल, नशा करनेवालों के परिवारवाले  अपने स्वजनों से परेशान रहते हैं और उनको इससे दूर रहने को कहते भी हैं, अपने तरीके से प्रयास भी करते हैं. कई परिवारों में लड़ाई-झगड़े, अशांति और तनाव का यह एक बड़ा कारण भी रहा है. हां, यह भी सही है कि नशा के शिकार कई लोग खुद इसे छोड़ना चाहते हैं. तभी तो देशभर के नशामुक्ति केन्द्रों और डॉक्टरों के पास ऐसे लोगों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नशा छोड़नेवाले लोगों की संख्या नशे के कारण विभिन्न रोगों से मरनेवालों की संख्या से अभी भी कम है. यह दुखद स्थिति है.

लॉक डाउन के कारण बाध्यतावश ही सही, नशा करनेवाले अधिकांश लोगों को इसकी आपूर्ति लगभग बंद हो गई. जिन्हें दिनभर में कम-से-कम चार-पांच सिगरेट या हर घंटे-दो घंटे में गुटखा का छोटा पैकेट, भांग का एक-दो गिलास या गांजा का दस-बीस कश या शराब का दो-चार पैग  का सेवन किए बगैर दिन काटना और रात में सोना मुश्किल होता था, अब चाहे-अनचाहे उनमें से ज्यादातर लोगों को इसके बिना जीने की आदत होने लगी है. गौर करनेवाली बात यह है कि  बिना किसी नशा मुक्ति केंद्र या डॉक्टर के पास गए या घरवालों के अतिशय दबाव के यह सब संभव हो गया. यह सकारात्मक एवं सुखद बदलाव है. यकीनन,  इसका बहुआयामी सकारात्मक असर उनके आर्थिक स्थिति के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.

अब एक बहुत अहम बात. जो लोग नशे की लत को इस बीच छोड़ चुके हैं, वे यकीनन संकल्प शक्ति के तो धनी हैं ही. तथापि इसे और मजबूत करने की जरुरत है, जिससे किसी भी कारण से वे पुनः इसके चपेट में न आ जाएं. बस मन को बराबर यह समझाते रहना है कि जो गलत था उसे जब इस लॉक डाउन के प्रभाव से ही सही एक बार छोड़ दिया तो बस छोड़ दिया. अब उससे कोई वास्ता नहीं रखना है, चाहे एकाध बार भी मन उसकी तरफ भागने की चेष्टा करे, चाहे दोस्त-मित्र इसके लिए कितना भी प्रलोभित या प्रेरित करें या चाहे लॉक डाउन में कुछ छूट के बाद नशे की ये वस्तुएं पूर्ववत आसानी से उपलब्ध हो. मन में हो विश्वास तो आप जरुर होंगे कामयाब. निसंदेह, ऐसे  समय घर के लोगों और अच्छे दोस्तों की भूमिका बहुत अहम साबित होती है. 
  
आइए जानते हैं स्वास्थ्य संबंधी इन पांच बड़े फायदों के बारे में.

1.आम तौर पर नशा छोड़ने पर खाने में सही स्वाद मिलता है और भोजन में शामिल पौष्टिक तत्वों के सही पाचन और अवशोषण का अपेक्षित लाभ भी. इससे शरीर के सारे सेल्स सक्रिय होते है और रक्त संचार में सुधार होता है. फलतः इम्यून सिस्टम और मेटाबोलिज्म में सुधार होने से दूसरे किसी बीमारी की चपेट में आने से बचे रहना भी आसान हो जाता है. व्यक्तिगत और घरेलू स्ट्रेस में आशातीत कमी आती है. 

2. सिगरेट या बीड़ी या गांजा के सेवन से मुक्त होनेवाले लोगों को टीबी, हाई बीपी, न्यूरो प्रॉब्लम,   और ह्रदय रोग के अलावे बड़े स्तर पर कैंसर से बचे रहने में मदद मिलती है. अगर इन रोगों में से किसी एक या ज्यादा रोग से पीड़ित हो चुके हैं तो उचित चिकित्सा द्वारा जल्दी ठीक होने की संभावना भी बढ़ जाती है. इससे श्वसन तंत्र में बहुत सुधार होता है. 

3. गुटखा, खैनी, जर्दा आदि के सेवन से छुटकारा पाने पर खासकर मुंह और गले के कैंसर से बचे रहना आसान हो जाता है. पाचन तंत्र ठीक से काम करने लगता है. रक्त प्रवाह में सुधार होता है इससे कई लाभ होते हैं.

4. शराब का सेवन करनेवाले लोग इससे मुक्त होने पर लीवर, किडनी और ह्रदय की बीमारी के अलावे मधुमेह में गुणात्मक सुधार के भागी बनते हैं. उनकी संकल्प शक्ति में बहुत सुधार होता है, जिसका सीधा लाभ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. अन्य कई छोटे-बड़े हेल्थ प्रोब्लम्स से भी बचे रहना संभव होता है. 
   
5. चरस, अफीम, कोकीन और हेरोइन के लत से मुक्त होने के बहुत लाभ हैं. आगे हर तरह के गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने की प्रबल संभावना से बचे रहने और अब तक हो चुके नुकसान को ठीक करने का मौका मिल जाता है. इससे शरीर के श्वसन तंत्र से लेकर पाचन तंत्र तक सब को राहत मिलती है. इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से गंभीर अवसाद और पागलपन की अवस्था में पहुंचे लोगों के लिए भी आगे एक हेल्दी लाइफ जीने के रास्ते खुल जाते हैं, बेशक समय थोड़ा ज्यादा लगता है. 
  
अंत में एक जरुरी बात और.

नशे की आदत से बाहर निकलने के दौर में ही अपनी जीवनशैली में सकारात्मक सक्रियताओं को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करना जरुरी होता है, जिससे बुरी आदत से एग्जिट सुगम होता  और यह महसूस भी होता है. कुछ दिनों तक नशे का हैंगओवर रहेगा जो दृढ़ निश्चय,  हेल्दी रूटीन और परिवारजनों के इमोशनल सपोर्ट से  शीघ्र समाप्त हो जाएगा. हां, इसके बावजूद भी अगर कभी मन घबराए तो घरवालों को बताने में संकोच न करे और साथ ही तुरत यह सोचें कि आखिर देश के 95 प्रतिशत से ज्यादा लोग अगर बिना नशे के हेल्दी और हैप्पी लाइफ लीड कर सकते हैं तो फिर मैं क्यों नहीं. जरुरत हो तो करके देखिएगा, अच्छा रिजल्ट मिलेगा. बहरहाल, पहले अपने शरीर की आंतरिक सफाई पर विशेष ध्यान दें, जिससे कि शरीर जल्द-से-जल्द डीटोक्सीफाई अर्थात विषैले तत्वों से मुक्त हो सके. यह महत्वपूर्ण काम सुबह की बेहतर शुरुआत से बहुत आसान हो जाएगा. ऐसे भी रात में जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है. अच्छी नींद से स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारी समस्याओं का समाधान स्वतः हो जाता  है. सुबह जल्दी उठने से हमें अपने शरीर को अच्छी तरह जलयुक्त और ऑक्सीजन युक्त करने का अच्छा वक्त मिल जाता है. गुनगुना नींबू पानी या  तुलसी-नीम-गिलोय के जूस आदि के सेवन से बहुत लाभ महसूस होगा.  नाश्ते से पहले सुबह खुले परिवेश में निष्ठापूर्वक व्यायाम, योग और ध्यान में आधे घंटे बिताना तन-मन दोनों को  रिचार्ज और रिफ्रेश कर देता है. इसके बाद आराम से पूरा स्वाद लेकर पौष्टिक ब्रेकफास्ट करें. इस समय नियमित रूप से घर का ताजा और शुद्ध खाना खाने से अनायास ही बहुत लाभ मिल जाता है. हां, कोशिश करें कि खाली समय में अपने किसी हॉबी जैसे पेंटिंग, कुकिंग, रीडिंग, ब्लॉग या डायरी राइटिंग आदि में व्यस्त रह सकें. बहुत अच्छा लगेगा. कहने की जरुरत नहीं कि लॉक डाउन के इस पॉजिटिव रिजल्ट को आप ताउम्र याद रखेंगे और इससे लाभान्वित भी होते रहेंगे.  (hellomilansinha@gmail.com)


             ...फिर मिलेंगे, बातें करेंगे - खुले मन से ... ...  
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 6 मई, 2020 को प्रकाशित
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Friday, May 8, 2020

वेलनेस पॉइंट: शरीर को अंदर से सैनीटाइज करते हैं ये प्राणायाम व आसन

                                  - मिलन  सिन्हा, वेलनेस कंसलटेंट एवं योग विशेषज्ञ  
नोवेल कोरोना वायरस यानी कोविड-19 वैश्विक महामारी से भारत सहित दुनियाभर के 200 से ज्यादा देश दुष्प्रभावित हैं. लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं. यह संख्या निरंतर बढ़ रही है और इससे पीड़ित लोगों की मरने की संख्या भी. विश्व के दूसरे सबसे आबादीवाले देश होने और कोविड-19 के जन्मदाता देश चीन का पड़ोसी होने के बावजूद भारत की स्थिति अबतक अपेक्षाकृत बेहतर है. केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ देशभर की सामाजिक और स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाए रखने और जो संक्रमित हो चुके हैं उनके उपयुक्त इलाज के लिए मिलकर काम कर रही हैं. केंद्र सरकार का आयुष मंत्रालय भी समय-समय पर लोगों को इसके संबंध में जरुरी जानकारी मुहैया करवा रही है. तथापि एकाधिक कारणों से बड़ी संख्या में आम लोग सशंकित, चिंतित और तनावग्रस्त हैं. इसका बुरा असर शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता और मेटाबोलिज्म पर पड़ना स्वाभाविक है. इसके दुष्परिणाम बहुआयामी हो सकते हैं. समाज और सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है. 

ज्ञातव्य है कि नोवेल कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के संक्रमण से हमारी श्वसन प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है. वायरस का  पहला हमला हमारे गले के आसपास की कोशिकाओं पर होता है  जो जल्दी ही हमारे सांस की नली और फेफड़ों को संक्रमित कर स्थिति को जानलेवा तक बना देती है. नियमित योगाभ्यास, खासकर निम्नलिखित पांच प्राणायाम के अभ्यास से खुद को अन्दर से सेनिटाइज करना और बराबर वायरस से लड़ने में खुद को सक्षम बनाए रखना आसान  हो जाता है, क्यों कि इससे श्वसन नली एवं फेफड़े के प्रोब्लम्स से बचाव के अलावे उच्च रक्तचाप, न्यूरो प्रॉब्लम, ह्रदय रोग, मधुमेह, मानसिक तनाव आदि में भी काफी लाभ मिलता है. 

विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के अनुसार प्राणायाम प्रक्रियाओं की वह श्रृंखला है जिसका लक्ष्य शरीर की प्राणशक्ति को उत्प्रेरणा देना, बढ़ाना तथा उसे विशेष अभिप्राय से विशेष क्षेत्रों में संचारित करना है. प्राणायाम का अंतिम उद्देश्य सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित 'प्राण' को नियंत्रित करना भी है.

कोशिश करें कि प्राणायाम का अभ्यास अपेक्षाकृत खुले स्थान पर किए जाएं अर्थात ऑक्सीजन और प्रकाश युक्त माहौल में. आइए प्राणायाम के उन पांच अभ्यासों के बारे में  जानते हैं. 

1. योग क्रिया: अनुलोम-विलोम प्राणायाम 
विधि: सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में से ध्यान के किसी आसन में सीधा बैठ जाएं. शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रख लें. आँख बंद कर लें. अब दाहिने हाथ के प्रथम और द्वितीय अँगुलियों को ललाट के मध्य बिंदु पर रखें और तीसरी अंगुली (अनामिका) को नाक के बायीं छिद्र के पास और अंगूठे को दाहिने  छिद्र के पास रखें. अब अंगूठे से दाहिने छिद्र को बंद कर बाएं छिद्र से दीर्घ श्वास लें और फिर अनामिका से बाएं छिद्र को बंद करते हुए दाहिने छिद्र से श्वास को छोड़ें. इसी भांति अब दाहिने  छिद्र से श्वास लेकर बाएं से छोड़ें. यह एक आवृत्ति है. 
अवधि:  कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें. जल्दबाजी या बलपूर्वक न करें.  
लाभ: सर्दी, जुकाम, सायनस, अस्थमा, खांसी, टोन्सिल आदि समस्त कफ रोग दूर होते हैं. सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, न्यूरो प्रॉब्लम, ह्रदय रोग आदि के लिए भी लाभप्रद. 
  
2. योग क्रिया: कपालभाति प्राणायाम  
विधि: सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में सीधा बैठ जाएं. पेट सहित पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रख लें. आँख बंद कर लें और श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब रेचक यानी श्वास छोड़ने की प्रमुखता रखते हुए श्वसन अभ्यास करें. चूंकि इस प्राणायाम में  रेचक क्रिया में थोड़ा जोर लगाया जाता है, अतः हमारा पेट स्वतः थोड़ा भीतर की ओर जाएगा. आप पूरा ध्यान केवल सांस को बाहर निकालने पर केन्द्रित करें. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: जो लोग नेत्र रोग से पीडि़त हैं या जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, वे इस प्राणायाम को किसी योग प्रशिक्षक से सलाह लेकर ही करें.
लाभ: इससे फेफड़ा स्वच्छ होता है. दमा, एलर्जी, सायनस, कब्ज, जुकाम आदि रोग के साथ-साथ  ह्रदय एवं मस्तिष्क के रोगों में भी लाभ मिलता है. मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए भी लाभप्रद.

3. योग क्रिया: भस्त्रिका प्राणायाम
विधि: ध्यान के किसी आसन यानी सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में बैठ जाएं. अपने सिर और मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और दोनों हाथ घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रखें. आँख बंद कर लें और श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब थोड़ी तेज गति से बीस बार पूरक और रेचक यानी श्वास लें और छोड़ें. यह एक आवृति है. तीन आवृति से शुरू करें और अगले कुछ दिनों में सुविधानुसार बीस आवृति तक ले जाएं. इस क्रिया के अभ्यास से फेफड़ों का उपयोग लोहार की धौंकनी के तरह होता है. इससे फेफड़े से ऑक्सीजन से भर जाता है.  
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना
सावधानी: अगर हाई ब्लड प्रेशर या चक्कर आने संबंधी कोई बीमारी हो तो अपने डॉक्टर के एडवाइस से ही इस क्रिया को करें और वह भी किसी योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में. 
लाभ: फेफड़े को स्वच्छ, स्वस्थ और सबल रखने में बहुत लाभकारी. इस क्रिया से बहुत ताजगी और स्फूर्ति का अनुभव होता है. गले के रोग, सर्दी-जुकाम, एलर्जी, दमा आदि में भी लाभप्रद. 

4. योग क्रिया: उज्जायी प्राणायाम 
विधि: आराम के किसी भी आसन में सीधा बैठ जाएं. अपने सिर और मेरुदंड यानी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और दोनों हाथ घुटने पर किसी ध्यान मुद्रा में रखें. शरीर को ढीला छोड़ दें. अब अपने जीभ को मुंह में पीछे की ओर इस भांति मोड़ें कि उसके अगले भाग का स्पर्श ऊपरी तालू से हो. इसके बाद  गले में स्थित स्वरयंत्र को संकुचित करते हुए मुंह से श्वसन करें और और अनुभव करें कि श्वास क्रिया नाक से नहीं, बल्कि गले से संपन्न हो रहा है. ध्यान रहे कि श्वास क्रिया गहरी, पर धीमी हो. इसे 10-20 बार करें.  
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना 
सावधानी: जल्दबाजी न करें. मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें 
लाभ: गले को ठीक और नीरोग रखने के लिए काफी फायदेमंद. सर्दी-खांसी, ह्रदय रोग, अस्थमा, कंठ विकार, टोन्सिल, अनिद्रा, मानसिक तनाव से पीड़ित लोगों के लिए लाभप्रद है.

5. योग क्रिया: भ्रामरी प्राणायाम  
विधि: ध्यान के किसी भी आसन जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन आदि में बैठ जाएं. मेरुदंड सीधा रखें. शरीर को ढीला छोड़ दें. आंख बंद कर लें. श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब प्रथम अँगुलियों से दोनों कान बंद कर लें. दीर्घ श्वास ले और भौंरे की तरह ध्वनि करते हुए अविरल रेचक करें तथा मस्तिष्क में ध्वनि तरंगों का अनुभव करें. यह एक आवृत्ति है . इसे 5 आवृत्तियों से शुरू कर यथासाध्य रोज बढ़ाते रहें. रोजाना 10 मिनट तक करें तो बेहतर परिणाम मिलेंगे.
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना 
सावधानी: जल्दबाजी न करें. श्वास क्रिया तथा ध्वनि लयबद्ध हो, इसका ध्यान रखें.  
लाभ: गले का रोग, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग आदि में लाभप्रद. उत्तेजना और  मन की चंचलता दूर होती है. स्मरण शक्ति और सकारात्मक सोच बढ़ाने में सहायक.

तन-मन के रिलैक्सेशन के लिए शिथिलीकरण योग क्रिया :

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती कहते हैं कि "आधुनिक वैज्ञानिक युग में लोग अनेक तनावों एवं दुश्चिंताओं के अधीन हैं. उन्हें नींद में भी आराम नहीं मिलता. ऐसे लोगों को जिस प्रकार के विश्राम की आवश्यकता है, उसे वे शिथिलीकरण के आसनों द्वारा निश्चित ही प्राप्त कर सकते हैं." आइए ऐसे दो आसान आसनों के विषय में जानते हैं.

1. योग क्रिया: शवासन 
विधि: दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखते हुए पीठ के बल सीधा लेट जाएं. हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखें. पैरों को थोड़ा अलग कर लें. आखें बंद कर शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें. शरीर को शव की तरह पड़ा रहने दें. श्वास को सामान्य करते हुए आते-जाते महसूस करें. अब श्वास-प्रश्वास पर मन को केन्द्रित करते हुए उनकी गिनती शुरू कर दें. यानी श्वास को आते-जाते सजगता से अनुभव करें और गिनें भी. मन भटके तो उसे पुनः इस काम में लगाएं. कुछ मिनटों तक ऐसा करने पर तन-मन शिथिल हो जाएगा और आप बहुत रिलैक्स्ड फील करेंगे. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना. ऐसे आपको जब जरुरत महसूस हो इस क्रिया को करें.   
सावधानी: लेटने का स्थान समतल हो और आप श्वास-प्रश्वास के प्रति सचेत रहें.
लाभ: समस्त शारीरिक तथा मानसिक प्रणालियों को शिथिल करके विश्राम देता है. थकान, चिंता, तनाव और अवसाद में बहुत लाभकारी. सोने से पूर्व और योगाभ्यास के पश्चात इसका अभ्यास आदर्श माना जाता है.

2. योग क्रिया: मकरासन  
विधि: पेट के बल सीधा लेट जाएं. अब कुहनियों के सहारे सिर और कंधे को उठाएं तथा हथेलियों पर ठुड्डी को टिका दें. आखें बंद कर शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें. अब श्वास-प्रश्वास पर मन को केन्द्रित करते हुए उनकी गिनती शुरू कर दें. कुछ समय तक लगातार इस अवस्था में रहें. 
अवधि: कम-से-कम 5 मिनट रोजाना. ऐसे आपको जब जरुरत महसूस हो इसे आप करें.   
सावधानी: लेटने का स्थान समतल हो और आप श्वास-प्रश्वास के प्रति सचेत रहें.
लाभ: रिलैक्सेशन के अलावे इस आसन से दमा एवं फेफड़े के अन्य रोगों से ग्रसित लोगों को बहुत लाभ मिलता है. मेरुदंड की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी काफी लाभप्रद. (hellomilansinha@gmail.com)


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Friday, April 3, 2020

वेलनेस पॉइंट: आइए मजबूत करें शरीर का सुरक्षा कवच

                              - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट... ...
सम्प्रति पूरे विश्व में कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्पन्न गंभीर  स्थिति स्वाभाविक रूप से  मीडिया में हेडलाइन बना हुआ है. इस सन्दर्भ में और देश-विदेश में अन्यथा भी वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित होकर बीमार पड़नेवाले लोगों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर इम्यून सिस्टम को दुरुस्त बनाए रखने पर सभी चिकित्सा तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक मत हैं. ऐसे भी आंकड़े साफ़ तौर पर बताते हैं कि देश में सभी उम्र के लोग पहले की तुलना में अधिक संख्या में बीमार पड़ रहे हैं  और वह भी छोटे-छोटे अंतराल में. दुःख की बात है कि गैर-संक्रमित (नॉन कम्युनिकेबल) रोगों - ह्रदय रोग, कैंसर, डायबिटीज, लीवर तथा किडनी रोग के चपेट में आनेवालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उनके इलाज का खर्च भी. यकीनन, व्यक्ति, समाज  और सरकार के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? मेरा स्पष्ट मत है कि इसका एक बड़ा कारण आम तौर पर लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होना है. अब सवाल है कि बिना लाखों-करोड़ों का अतिरिक्त खर्च किए क्या इसका समाधान पाया जा सकता है?  बिलकुल पाया जा सकता है और वह भी मोटिवेशन एवं अवेयरनेस के रास्ते. इससे हम आम लोगों को अनेक छोटे-बड़े रोगों से बचा सकते हैं और सरकार के मेडिकल खर्चे को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं. आइए, पहले जानते हैं कि यह इम्यून सिस्टम आखिर किसे कहते हैं?

इम्यून सिस्टम हमारे शरीर के सेल्स (कोशिकाओं), टिश्यूज (ऊतकों) तथा ऑर्गनस (अंगों) का एक काम्प्लेक्स नेटवर्क है जो आपस में मिलकर कीटाणुओं और रोगाणुओं से हमारे शरीर की रक्षा करता है. इस सिस्टम के कारण हमारे शरीर को कीटाणुओं-रोगाणुओं की पहचान करने में मदद मिलती है और फिर अपने नेटवर्क के पार्टनर्स  के साथ मिलकर उन्हें नष्ट करना संभव होता है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रह पाता है. रोचक बात है कि हमारा इम्यून सिस्टम अपने नेटवर्क के सारे हेल्दी सेल्स और टिश्यूज को पहचानता है और रोगाणुओं के बाहरी आक्रमण या संक्रमण के वक्त उन्हें प्रोटेक्ट भी करता है. दूसरे शब्दों में इम्यून सिस्टम का सीधा मतलब हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता से है, जो हमारे शरीर को ऐसा सुरक्षा कवच प्रदान करता है, जिससे शरीर जल्दी किसी साधारण बीमारी की चपेट में नहीं आता और अगर किसी रोग से कारण-अकारण ग्रसित भी हो जाते हैं तो उससे निजात पाने में भी शीघ्र सफल भी होते हैं. इसके विपरीत, यदि हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है तो हमारे रोग के संक्रमण की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. 

कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण हमें जल्दी थकान का अनुभव होता है, घबराहट और बेचैनी फील होता है, पेट खराब रहने, गाहे-बगाहे सर्दी-जुकाम से पीड़ित होने की शिकायत रहती है. सिस्टम लगातार कमजोर होने से वायरस और बैक्टीरिया जनित कई रोगों के अलावे भी हमारे  कई बड़े रोगों से ग्रसित होने की संभावना भी बढ़ जाती है.  

तो फिर इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाए रखने के लिए क्या-क्या करना चाहिए? आइए, थोड़ा विस्तार से जानते हैं. हां, नीचे जो उपाय बताए जा रहे हैं अगर हम उसपर नियमित रूप से निष्ठापूर्वक अमल करें तो निश्चित ही ज्यादा लाभ के हकदार बनेंगे.

1. रोज दिन की अच्छी शुरुआत हो. कहते हैं कि आगाज अच्छा हो तो अंजाम भी अच्छा होता है. पॉजिटिव सोच के साथ दिन की शुरुआत करें. सुबह आंख खुलने के बाद बिछावन पर बैठे-बैठे ही प्रकाश और ऊर्जा के देवता सूर्य को नमन करें और यह फील करने की कोशिश करें कि आप अंदर से प्रकाशित और उर्जायुक्त हो रहे हैं. तत्पश्चात अपने माता-पिता-गुरु-इष्टदेव का स्मरण कर उन्हें नमन करें. आप अच्छा फील करेंगे और आपका शरीर तदनुसार रियेक्ट करेगा. 

2. आराम से बैठकर धीरे-धीरे आधा लीटर गुनगुना पानी पीएं. गुनगुने पानी में आधा नींबू का रस, एक चम्मच शहद और थोड़ा अदरक का रस डाल कर पीएं तो और ज्यादा लाभ मिलेगा. सुबह शरीर  को अच्छी तरह  हाइड्रेट करने से शरीर से विषैले और अवांछित चीजों को निकालने में मदद मिलती है और इससे इम्यून सिस्टम अच्छा बना रहता है. अपनी जरुरत के हिसाब से समय-समय पर दिनभर पानी का सेवन करें. जहां तक संभव हो ठंडा पानी या अन्य कृत्रिम पेय से बचें. 

3. सुबह उठने के बाद कोशिश करें कि आधे घंटे के अंदर आप शौच आदि से निवृत हो जाते हैं. जितना शीघ्र आपके अंदर से वेस्ट क्लियर होगा, आपके इम्यून सिस्टम के लिए उतना अच्छा है. 

4. अब तुलसी के चार-पांच पत्ते के साथ एक-दो दाना गोल मिर्च और लौंग को पान की तरह खूब चबा कर और आनंद लेकर खाएं. इसके बदले नीम या गिलोय के पत्ते या रस या बाजार में उपलब्ध वटी यानी टेबलेट का सेवन भी कर सकते हैं. आईडिया केवल यह है कि आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने की मजबूत शुरुआत रोज सुबह-सुबह ही हो जाए.

5. योगाभ्यास, व्यायाम, वाकिंग आदि में से आप जो कर सकते हैं, अगला 20-30 मिनट उसे करने में लगाएं. निश्चित रूप से नियमित योगाभ्यास सबसे अच्छा विकल्प  है इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाने और रखने में. तो योगाभ्यास में पहले आसन, फिर प्राणायाम और अंत में ध्यान यानी मेडीटेशन करें. आसन में सूर्य नमस्कार के पांच राउंड से शुरू कर सकते हैं या फिर पवनमुक्तासन श्रेणी के तीन-चार आसन - ताड़ासन, कटि-चक्रासन, भुजंगासन और शशांकासन  अपनी सुविधा और जरुरत के हिसाब से करें. इसे और आसान भाषा में समझाएं तो सिर से लेकर पांव की ऊँगलियों तक शरीर के हर जोड़ को आराम से चला लें. इससे आपका शरीर लचीला हो जाएगा. प्राणायाम यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज में कम-से-कम अनुलोम-विलोम, कपालभाती और भ्रामरी कर लें. इसके बाद  कम-से-कम पांच मिनट मेडीटेशन करें. योगाभ्यास से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, रक्त प्रवाह में गुणात्मक सुधार होता है और शरीर के सारे सेल्स एक्टिव हो जाते हैं. नतीजतन इम्यून सिस्टम बहुत स्ट्रांग बनता है. तेज गति से टहलने और शरीर के सारे अंगों को सक्रिय करने के लिए किए जाने वाले आसान व्यायाम से भी अच्छा लाभ मिलता है.

6. दिनभर के हमारे खानपान का हमारे शरीर के रखरखाव में बहुत बड़ा योगदान है और नतीजतन हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाए रखने में भी. खानपान में स्वास्थ्य को ध्यान में रखना बहुत अनिवार्य है, स्वाद भी अच्छा हो तो उत्तम. अपने खानपान में शरीर की मूलभूत आवश्यकताओं -प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, फैट, मिनरल्स और विटामिन की अपेक्षित मात्रा मिल जाए, इसके प्रति सचेत रहें. जब भी खाना खाएं, केवल खाने पर फोकस करें और आराम से खूब चबाकर तथा स्वाद लेकर खाएं. आपका खानपान जितना संतुलित होगा उतना लाभ मिलेगा. अपने खानपान में अन्न, मौसमी सब्जी एवं फल के अलावे नियमित रूप से नींबू,  अदरक, लहसुन, प्याज,  आंवला, लौंग, इलाइची, दालचीनी, गोलमिर्च, हल्दी, जीरा, सौंफ, अजवाइन, मूली, खीरा, गाजर, टमाटर, हरी पत्तेदार सब्जियां, पपीता, केला, नारियल, ड्राई फ्रूट्स आदि को शामिल करें. हां, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने में विटामिन -सी की अहम भूमिका मानी गई है. अतः नींबू, आवंला, संतरा, मौसंबी, आम, अंगूर जैसे फल अच्छा लाभ देते हैं. एक बात और. सुबह उठने के दो घंटे के अंदर नाश्ता जरुर कर लें.

7. रोगाणुओं के आक्रमण या उनके संक्रमण से बचाव के लिए  शरीर की अंदरुनी सफाई जितना जरुरी है उतना ही बाहरी और आसपास की सफाई. रोज स्नान करें और साफ़-सुथरे कपड़े पहनें. घर की सफाई का विशेष ध्यान रखें. बाहर से घर आने पर पहले जूते-चप्पल निकाल कर बाहर रखें और फिर हाथ-पांव-चेहरा बढ़िया से धोएं. इससे इम्यून सिस्टम हेल्दी रखना आसान होगा.

8. इम्यून सिस्टम पर हंसी का बहुत सकारात्मक असर होता है.  इससे शरीर में रक्त संचार में सुधार के साथ-साथ ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ती है. ऐसे भी हंसी को बेस्ट मेडिसिन के रूप में डॉक्टर-वैज्ञानिक सबने स्वीकार किया है. 

9. रात में 7-8 घंटे की अच्छी नींद का बहुत ही अच्छा असर दिनभर के क्रियाकलाप पर दिखाई पड़ता है. नींद के दौरान हमारे शरीर को रिलैक्स करने और अंदरूनी रिपेयरिंग का मौका मिलता है. यही कारण है कि अच्छी नींद से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. 

अंत में उन बातों का जिक्र करना जरुरी है जिसके कारण हमारा इम्यून सिस्टम कजोर होता है. संक्षेप में कहें तो धुम्रपान, मद्दपान, गांजा-भांग-खैनी-गुटका तथा कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन, जंक फ़ूड, फ्रोजेन, पैकेज्ड तथा प्रीजर्वड फ़ूड का नियमित सेवन, अस्वच्छ या गन्दा रहन-सहन,  नकारात्मक सोच और अनावश्यक स्ट्रेस आदि बड़े कारण हैं. अनियमित खानपान एवं रूटीन भी इसमें अपनी भूमिका निभाता है.
 (hellomilansinha@gmail.com)


             ...फिर मिलेंगे, बातें करेंगे - खुले मन से ... ...  
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में 1 अप्रैल, 2020 को प्रकाशित
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Tuesday, March 10, 2020

वेलनेस पॉइंट: कोविड-19 कोरोना वायरस - सावधानी ही बचाव

                                             - मिलन सिन्हा, हेल्थ मोटिवेटर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
चीन के कोरोना वायरस यानी कोविड-19 से चीन सहित दुनिया के अनेक देश समस्याग्रस्त हैं. हमारे देश में भी इससे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है. रोकथाम के लिए डब्लूएचओ सहित सभी देश अपने-अपने तरीके से प्रयासरत हैं, जिसमें संक्रमित लोगों की पहचान व त्वरित इलाज के साथ-साथ आम लोगों को जागरूक और सावधान करते रहना शामिल है. दरअसल, कोरोना वायरस से उत्पन्न इस असाधारण स्थिति में सावधानी ही बचाव का अचूक हथियार है. तो आइए इससे बचे रहने के एकाधिक आसान उपायों पर चर्चा करते हैं.

सबसे पहले तीन अहम बातें
1.किसी हालत में घबराएं नहीं, बदहवास न हों, अनावश्यक रूप से तनावग्रस्त भी न हों और न ही कोई दुष्प्रचार करें. घबराहट, पैनिक और तनाव से स्थिति और बिगड़ती है. संक्रमण और रोग से लड़ने की क्षमता घटती है. मेटाबोलिज्म काफी दुष्प्रभावित होता है.
2.सामान्य तौर पर ऋतु यानी मौसम परिवर्तन के समय बहुत सारे लोग सर्दी-जुकाम-बुखार से पीड़ित होते हैं. उन सबको कोरोना पीड़ित न समझ लें. तीन दिन तक ऐसे मामलों में सुधार न दिखने तथा कोरोना पीड़ित होने के कुछ लक्षण दिखने पर ही यथोचित कदम उठायें. तब तक उन्हें घर पर अन्य सदस्यों से थोड़ा अलग रखकर उनका आम उपचार करें.
3.जाने-अनजाने कारणों से दुर्भाग्यवश संक्रमित हो जाने पर तुरत डॉक्टर की सलाह लें और उनके सुझावों पर अमल करें.

संक्रमित होने के प्रारंभिक लक्षण
कोरोना वायरस के संक्रमण के परिणाम स्वरुप व्यक्ति को नाक बहना, गले में खराश, जुकाम, बुखार, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है.

इम्यून सिस्टम का मजबूत रहना जरुरी
ऐसे संक्रमण वाले रोगों से बचाव के लिए बराबर अपना इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाएं रखें यानी अपने शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत स्थिति में रखें. सवाल है कैसे रखें ?
पहला यह कि हमेशा अपने शरीर को ऑक्सीजन युक्त और हाइड्रेटेड यानी जलयुक्त रखें 2) संतुलित खानपान करें, जिससे हमें प्रोटीन, विटामिन सहित सारे पोषक तत्व मिलते रहें. 3) नियमित व्यायाम, योगाभ्यास व खेलकूद 4) रात में प्रयाप्त व अच्छी नींद 5) सकारात्मक सोच

बचाव के अन्य आसान उपाय
1. किसी से भी मिलने पर हाथ मिलाकर नहीं, हाथ जोड़ कर यानी नमस्ते से अभिवादन करें. आम सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोगों से थोड़ा दूर से ही मिलें.
2. संक्रमित स्थान पर या भीड़भाड़ वाले जगह पर जाने की बाध्यता हो तो मास्क, दस्ताने और चश्मा पहनकर जाएं.
3. बस, कैब, ऑटो, ट्रेन, प्लेन आदि में सफ़र करते वक्त कई बार रेलिंग, हैंडल आदि पकड़ने पड़ते है जो संक्रमित हो सकता है. अतः दस्ताने का उपयोग करें अन्यथा सेनीटाइजर का इस्तेमाल करें.
4. बाहर से घर आने पर ठीक से डेटाल साबुन से हाथ-पांव बढ़िया से धोएं.
5. संक्रमित व्यक्ति से बिलकुल दूर रहें. इसकी सूचना मेडिकल ऑफिसर को दें.
6. सुबह-सुबह गर्म नींबू पानी चाय की तरह सिप करें.
7. सूर्योदय के आसपास शौच आदि से निवृत होकर पहले ताड़ासन, कटि-चक्रासन, भुजंगासन और शशांकासन करें या फिर कम-से-कम 4-5 राउंड सूर्यनमस्कार कर लें. फिर प्राणायाम यानी ब्रीदिंग एक्सरसाइज में अनुलोम-विलोम, कपालभाती और भ्रामरी कर लें. डीप ब्रीदिंग करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और रक्त प्रवाह में भी गुणात्मक सुधार होता है.
8. तुलसी और गिलोय के रस का सेवन भी लाभकारी है.
9. तुलसी के चार-पांच पत्ते के साथ एक-दो दाना गोल मिर्च और लौंग को पान की तरह खूब चबा कर खाएं.
10. सुबह-शाम आम चाय या कॉफ़ी के बजाय तुलसी, अदरक, गोलमिर्च, तेजपत्ता, लौंग, दालचीनी और इलाइची का काढ़ा बनाकर गर्म अवस्था में ही घीरे-धीरे पीएं.
11. दिनभर में दो-तीन बार ग्रीन या हर्बल चाय भी पी सकते हैं. काफी लाभ होगा. अच्छा भी फील करेंगे.
12. मांसाहारी खाना, जंक फ़ूड आदि का सेवन न करें. फल, सब्जी, दाल के साथ घर का बना सात्विक भोजन करें.
13. रात में गर्म दूध में थोड़ा हल्दी मिलाकर पीएं
14. रात में सोने से पहले नाक के दोनों भाग में एक-एक बूंद सरसों का तेल डालें. अपने हथेली और तलवों में भी सरसों तेल से मालिश करके सोएं. नींद अच्छी आएगी और संक्रमण से बचाव भी होगा.
15. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी  एडवाइजरी पर नजर बनाए रखें. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर जारी सूचनाओं एवं जानकारी का संज्ञान लें और उसका लाभ उठायें.

बचाव संबंधी कुछ और इनपुट
- 6 साल से कम उम्र के बच्चे तथा 60 साल से उपर के बुजुर्गों को ज्‍यादा सवाधान रहने की जरुरत है.
- बार-बार नाक, आंख एवं मुंह को छूने से बचें, खासकर जब आपका हाथ साफ़ न हो.
- जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें.
-सुबह-शाम एक-एक चम्मच च्वयनप्राश का सेवन करें. रोग प्रतिरक्षात्मक शक्ति बढ़ेगी तो लाभ होगा. 
- वैज्ञानिकों का मानना है कि वातावरण का तापमान जैसे-जैसे 30 डिग्री सेल्‍सियस से ऊपर जायगा, इसके संक्रमण की संभावना वैसे-वैसे कम होती जाएगी. लिहाजा, फिलहाल अपने कमरे का तापमान 30 डिग्री सेल्‍सियस से अधिक रखने की कोशिश करें.
- वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि घर में फ्रेश एयर आने दें. संक्रमण का खतरा कम होगा.
- याद रखें जिम्मेदार नागरिक के नाते हमें खुद भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचे रहना है और साथ ही अपने आसपास तथा जान-पहचान के लोगों को भी इससे बचे रहने के लिए प्रेरित और जागरूक करते रहना है.
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