-Milan K. Sinha, Motivational Speaker & Wellness Consultant
Friday, July 29, 2022
Growing Health Problem of Obesity – Reason, Repercussion and Remedy
- Sedentary lifestyle
Wednesday, May 25, 2022
स्ट्रेस मैनेजमेंट पॉइंट: कहीं आप बेवजह तो तनावग्रस्त नहीं
- मिलन सिन्हा, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट
दरअसल, यह उस व्यक्ति की समस्या मात्र नहीं है. ऐसा अनेक लोग फील करते हैं. विचारणीय बात यह है कि यह स्थिति आपके नियंत्रण क्षेत्र में है या नहीं. अधिकांश मामलों में नहीं. यह सही है कि आपको कुछ गलत होते हुए देखना अच्छा नहीं लगता. आपका नाराज होना या क्रोधित होना भी गैर वाजिब नहीं है. उस कारण तनाव ग्रस्त होना जरुर गैर मुनासिब है. ऐसे सभी मामलों में जो गलत कर रहा है, उसे न तो आपके बुरा लगने से कोई फर्क पड़ता है और न ही उसमें कोई सुधार होता है. कई बार तो आपकी नाराजगी का उसे भान भी नहीं होता. इधर आप नाराज, क्रोधित और तनावग्रस्त होकर अपना ढेर सारा नुकसान कर लेते हैं. है कि नहीं?
लक्ष्मण रेखा तय करें और बहस में न उलझें: ऐसी स्थिति में आपको जो करना चाहिए वह यह कि आप गलत काम में संलग्न व्यक्ति को पूरी शालीनता और शान्ति से बस यह बता दें कि उनका गलत काम या व्यवहार आपको बुरा लगा. इसके रिएक्शन में वह कुछ भी कहे, आप उससे बहस में न उलझें. यही आपकी लक्ष्मण रेखा है. समझनेवाली बात यह है कि आपका अपने कार्य या आचरण पर तो कंट्रोल हो सकता है, लेकिन बाहर के किसी व्यक्ति पर शायद नहीं. हां, गलत करनेवाले को टोकने की एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य जरुर निभाएं. इसके अच्छे परिणाम मिल जाए तो खुश हो लें, न मिले तब भी इस बात से खुश होने का प्रयास करें कि आपने कोशिश तो की. किसी भी अवस्था में खुद तनावग्रस्त होने का तो कोई अर्थ नहीं है. अमेरिकी विचारक रेनहोल्ह निबुहर सही कहते हैं, "हे ईश्वर, मुझे उन चीजों को स्वीकार करने की स्थिरता दें जिन्हें मैं बदल नहीं सकता, उन चीजों को बदलने का साहस दें जिन्हें मैं बदल सकता हूँ और दोनों में अंतर करने की बुद्धि दें."
(hellomilansinha@gmail.com)
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Tuesday, March 22, 2022
जीवन और सेहत को ऊर्जा से भर देता है ब्रह्ममुहूर्त
- मिलन सिन्हा, स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड वेलनेस कंसलटेंट
आजकल अनेक लोग जरुरत-बेजरूरत और जाने-अनजाने रात में देर तक जागते हैं और सुबह देर से सोकर उठते हैं. कई मेडिकल रिसर्च और सर्वे में पाया गया है कि बराबर रात में देर से सोनेवाले लोगों को ह्रदय रोग सहित कई अन्य रोगों का शिकार होना पड़ता है. हाल ही में यूरोपियन हार्ट जर्नल में एक सर्वे के हवाले से बताया गया है कि रात के बारह बजे के बाद सोनेवालों में दिल की बीमारी का खतरा करीब 25 प्रतिशत ज्यादा होता है, जब कि 10 से 11 बजे के बीच सोनेवालों को इसका खतरा सबसे कम होता है. स्वाभाविक रूप से देर से सोनेवाले सुबह देर से उठेंगे भी. इससे बायोलॉजिकल क्लॉक का संतुलन बिगड़ता है और नतीजतन कई अन्य शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
अंग्रेजी में कहते हैं, “अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज मेक्स ए मैन हेल्दी, वेल्दी एंड वाइज” अर्थात रात में जल्दी सोनेवाले और सुबह जल्दी उठनेवाले लोग स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान होते हैं. सदियों पहले आयुर्वेद में ब्रह्ममुहूर्त अर्थात सूर्योदय से पहले सोकर उठने को स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम बताया गया है. आइए, इसके पीछे जो रोचक और ज्ञानवर्धक तर्क और तथ्य हैं, उस पर थोड़ी चर्चा करते हैं.
दिनभर के 24 घंटों में से हर 48वें मिनट में मुहूर्त बदलता है. इस हिसाब से हर एक दिन में कुल 30 मुहूर्त होते हैं. इन्हीं तीस मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है ब्रह्म मुहूर्त जो सुबह के 4.24 बजे से 5.12 के मध्य का समय होता है. ज्ञानीजन कहते हैं कि इस समय उठनेवाले लोगों को आंतरिक शक्ति, बुद्धि, सेहत आदि के मामले में अप्रत्याशित लाभ मिलता है.
धर्मग्रंथों की बात करें तो ऋग्वेद के अनुसार 'प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृनिधत्तो, तेन प्रजां वर्धयुमान आय यस्पोषेण सचेत सुवीर:” अर्थात सूर्योदय से पहले उठनेवाला व्यक्ति स्वस्थ रहता है. कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इस समय को सोकर बर्बाद नहीं करेगा. इस समय उठने वाले लोग हमेशा सुखी, ऊर्जावान बने रहते हैं और उनकी आयु लंबी होती है. सामवेद में लिखा गया है, “यद्य सूर उदितो नागा मित्रो र्यमा, सुवाति सविता भग:”. अर्थात व्यक्ति को सूर्योदय से पहले ही शौच और स्नान आदि करके ईश्वर की उपासना करनी चाहिए. इस समय व्याप्त अमृत तुल्य हवा से स्वास्थ्य और लक्ष्मी दोनों में वृद्धि होती है. तभी तो इसे सिख धर्म में अमृत बेला कहा गया है.
सामान्य ज्ञान और चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से देखें तो इस समयावधि में वातावरण शांत और ज्यादा ऑक्सीजनयुक्त होता है. वायु और ध्वनि प्रदूषण कम होता है. शुद्ध हवा में सांस लेने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. पूरे शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है. ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. परिणाम स्वरुप मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता उन्नत होती है. इतना ही नहीं, ब्रह्ममुहूर्त में उठनेवाले लोगों में वात, पित्त और कफ में बेहतर संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर को निरोगी रखने में बहुत मदद मिलती है.
क्या है वात, पित्त और कफ
आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर की प्रकृति तीन मुख्य तत्व के अनुसार होती है - 1. वात (वायु व आकाश), 2. पित्त (अग्नि व जल) और 3. कफ (पृथ्वी व जल) हैं. इन तत्वों की मात्रा समय के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है.
वात- मांसपेशियों, सांस प्रणाली, ऊत्तकों की गतिविधियों से जुड़ा है.
पित्त- पाचन, उत्सर्जन, चयापचय और शरीर के तापमान प्रक्रियाओं से जुड़ा है.
कफ- शरीर की संरचना यानी हड्डियों, तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों से संबंधित है, जो कोशिकाओं के बेहतर संचालन और जोड़ों को लूब्रिकेशन में अहम भूमिका निभाता है.
शौच आदि से निवृत होकर योग, मेडिटेशन, प्रार्थना और अध्ययन करने के मामले में यह समय सबसे अच्छा माना गया है. इससे अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना आसान होता है जिसके बहुआयामी लाभ हैं. वैज्ञानिक तथ्य है कि इस समय उठनेवालों एवं सकारात्मक एक्टिविटी में समय बिताने वालों का मेमोरी पॉवर और एकाग्रता उन्नत होता है. यही कारण है कि विद्यार्थियों को इस समय अध्ययन करने को प्रेरित किया जाता है. इसके अलावे यह भी पाया गया है कि ब्रह्ममुहूर्त में उठने लोग अपना समय प्रबंधन बेहतर ढंग से कर पाते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता में उछाल देखा जाता है. हां, यहां इस बात का ध्यान रखना निहायत जरुरी है कि ब्रह्ममुहूर्त में उठने के लिए और खुद को तरोताजा महसूस करने के लिए आप रात में कम-से-कम छह से सात घंटे की अच्छी नींद का आनंद उठाएं. सार संक्षेप यह कि आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में जागने और पॉजिटिव सोच के साथ काम करने से हम लोग ज्यादा सक्रिय एवं रोग मुक्त रह कर लम्बी उम्र तक जीवन का आनंद ले सकते हैं.
(hellomilansinha@gmail.com)